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प्रदूषण-मुक्त हरियाणा के लिए मिली 305 मिलियन डॉलर की मदद

वर्ल्ड बैंक ने मंजूर की सहायता, 2030 तक ‘स्वच्छ वायु’ का मॉडल
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हरियाणा सरकार के स्वच्छ वायु और सतत विकास के मिशन को बड़ी उड़ान मिली है। वर्ल्ड बैंक ने हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए 305 मिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता मंजूर कर दी है। इस परियोजना का लक्ष्य 2030 तक राज्य को प्रदूषण-मुक्त बनाना और नागरिकों के लिए स्वच्छ वायु सुनिश्चित करना है।परियोजना में 300 मिलियन डॉलर लोन और 5 मिलियन डॉलर अनुदान शामिल हैं। कुल परियोजना लागत 3,646 करोड़ रुपये है, जिसमें से 1,065 करोड़ रुपये हरियाणा सरकार और 83 करोड़ रुपये अतिरिक्त अनुदान के रूप में योगदान देंगे। सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह स्वीकृति पिछले साल नवंबर में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और वर्ल्ड बैंक प्रतिनिधियों की उच्च स्तरीय बैठक के बाद मिली थी।

बैठक में परियोजना के कार्यान्वयन और फंडिंग के लिए 2,498 करोड़ रुपये के लोन का आश्वासन दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश में स्वच्छ वायु नवाचार और सतत विकास में अग्रणी बनेगी। परियोजना का क्रियान्वयन ‘अर्जुन’ योजना के तहत किया जाएगा। अर्जुन की अध्यक्षता मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर कर रहे हैं। यह एचवीपी योजना, कार्यान्वयन और वास्तविक समय निगरानी में प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करेगा।

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इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा

परियोजना में 1,688 करोड़ रुपये परिवहन क्षेत्र के लिए निर्धारित हैं। इसके तहत गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर में 500 इलेक्ट्रिक बसें तैनात की जाएंगी। उच्च-प्रदूषणकारी वाहनों की फेज़ आउट और स्क्रैपिंग पॉलिसी लागू की है। 200 ईवी चार्जिंग स्टेशन, इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर इंसेंटिव और फ्लीट रिप्लेसमेंट बनेंगे। इससे शहरी परिवहन उत्सर्जन में तेज़ कमी और स्वच्छ मोबिलिटी पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होगा।

औद्योगिक क्षेत्र में उत्सर्जन नियंत्रण

इसके तहत 563 करोड़ रुपये उद्योगों के लिए मंजूर किए हैं। बॉयलरों को पीएनजी में शिफ्ट किया जाएगा। डीज़ल जनरेटर सेट का प्रतिस्थापन होगा और प्रमुख औद्योगिक इकाइयों में सीईएमएस इंस्टॉलेशन होंगे। इस पहल से औद्योगिक क्षेत्र में कार्बन फुटप्रिंट और प्रदूषण दोनों कम होंगे। कृषि क्षेत्र के लिए 746 करोड़ रुपये मंजूर हुए हैं। इनका इस्तेमाल पराली जलाने पर रोक लगाने, बायो-डीकंपोजर तकनीक और पशु अपशिष्ट प्रबंधन पर होगा। इसी तरह 85 करोड़ रुपये शहरी धूल नियंत्रण, स्वच्छता और प्रवर्तन क्षमता सुधार पर खर्च किए जाएंगे। हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 564 करोड़ रुपये वैज्ञानिक निगरानी और संस्थागत क्षमता बढ़ाने के लिए आवंटित किए गए हैं।

 

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