चरखी दादरी, 29 मई (निस)
ड्राइवरी एक ऐसा पेशा है, जिसे समाज पुरुषों से ही जोडक़र देखता है। लेकिन चरखी दादरी जिले की 3 बेटियों ने हैवी ड्राइवर बनकर समाज के सामने नई मिसाल पेश की है।
इन बेटियों का संघर्ष रंग लाया और अब उनकी ज्वानिंग डीटीसी में बतौर चालक हुई है। तीनों बेटियों ने ड्यूटी जॉइन कर ट्रेनिंग शुरू कर दी है और जल्द ही ये तीनों राजधानी की सड़कों पर डीटीसी की बसें दौड़ाती नजर आएंगी।
हैवी ड्राइवर बनीं जिले की तीनों बेटियों ने बताया कि शुरुआत में जब उन्होंने बाइक या ट्रैक्टर चलाना सीखा तो लोगों के ताने सुनने को मिले। लोगों ने उनके मुंह पर बोला कि यह काम पुरुषों का है, न कि महिलाओं का। इन तानों को अनसुना कर उन्होंने अपना प्रशिक्षण जारी रखा और उनके संघर्ष का अब सकारात्मक परिणाम सामने आया है। चरखी दादरी जिला के गांव अख्त्यारपुरा निवासी शर्मिला, मिसरी निवासी भारती और मौड़ी निवासी बबीता धवन डीटीसी में हैवी ड्राइवर हैं।
उन्होंने बताया कि हैवी वाहन चलाने का प्रशिक्षण चरखी दादरी रोडवेज ट्रेनिंग स्कूल में लिया है। मौड़ी निवासी बबीता ने 2016 के बैच में, भारती ने 2018 के बैच में और शर्मिला ने 2019 के बैच में अपना प्रशिक्षण पूरा किया। परिवार की आर्थिक मदद के लिए उन्होंने ड्राइवरी सीखने का फैसला लिया था।