कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 26 फरवरी
भारतीय दूतावास की एडवाइजरी के बाद यूक्रेन के टर्नोपिल और लविव शहर से यूक्रेन-पोलैंड बॉर्डर पर पहुंचे भारतीय मेडिकल स्टूडेंट्स अब माइनस 5 डिग्री सेल्सियस में बिना खाने के बॉर्डर पार करवाए जाने का इंतजार कर रहे हैं। यूक्रेन-पोलैंड बॉर्डर पर फंसे मेडिकल स्टूडेंट्स का कहना है कि यूक्रेन सरकार उनके साथ सहयोग नहीं कर रही है। पोलैंड के नागरिकों को बॉर्डर पार करवा रही है। उनसे 200 डॉलर की मांग की जा रही है। इसके अलावा एबेंसी के अधिकारी भी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं।
यूक्रेन-पोलैंड बॉर्डर पर फंसी पलवल की वंशिका व बल्लभगढ़ के मानसी मंगला व मेघना ने बताया कि यह सब एंबेसी द्वारा गलत एडवाइजरी के कारण हुआ है। 25 फरवरी को एंबेसी ने भारतीयों को पोलैंड बॉर्डर पर पहुंचने को कहा था। सभी को कहा गया था कि वह अपने वाहनों से पोलैंड बॉर्डर पर पहुंचे। इसके बाद प्रति स्टूडेंट 600 हरीवनिया (करीब 1500 रुपए) खर्च करके व 40 से 45 किलोमीटर पैदल चलकर वे यूक्रेन-पोलैंड बॉर्डर पर पहुंचे। यहां पर पहुंचने के बाद उनको बॉर्डर पार नहीं करने दिया जा रहा है। यूक्रेन इमिग्रेशन के अधिकारी कह रहे हैं कि जब आपकी सरकार ने हमारा सहयोग नहीं किया तो हम आपका सहयोग क्यों करें। इसके अलावा कई मेडिकल स्टूडेंट्स के पासपोर्ट भी फाड़ दिए। बॉर्डर क्रॉस करवाने के लिए उनसे प्रति स्टूडेंट 200 डॉलर की मांग की जा रही है जबकि उनके पास खाने के लिए भी रुपए नहीं बचे हैं। जब उन्होंने एंबेसी के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि वे कुछ नहीं कर सकते।
आखिरी फ्लाइट से हिसार व पानीपत पहुंचे तीन स्टूडेंट
यूक्रेन से आई आखिरी फ्लाइट से 24 फरवरी की सुबह भारत पहुंचे हिसार के नया गांव निवासी कुलदीप ने बताया कि उनके अलावा पानीपत की ट्विंकल व संजीव भी उनके साथ आए हैं। कुलदीप यूक्रेन के डेनिप्रो शहर के मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहा है और उसका यह तीसरा साल है। रूस बॉर्डर के समीप स्थित खार्किव शहर में एक बंकर में फंसे हिसार के पाबड़ा गांव निवासी अमन कुमार ने बताया कि खार्किव से पोलैंड बॉर्डर 1500 किलोमीटर दूर है। सायरन बजते ही हमें बंकर में जाना होता है। इस स्थिति में वह कैसे पोलैंड बॉर्डर पर पहुंचे। लविव शहर के हॉस्टल में मौजूद हिसार के गंगवा गांव निवासी अमित वर्मा ने बताया कि एंबेसी की गलत एडवाइजरी के कारण उनके हॉस्टल से करीब 70-80 विद्यार्थी पोलैंड बॉर्डर पर पहुंच गए, लेकिन अब वे बिना खाने के वहां बॉर्डर क्रॉस करने के इंतजार में बैठे हैं। उन्होंने बताया कि इस समय उनके हॉस्टल में करीब 120 विद्यार्थी हैं और मेस अभी खुली है।
यूक्रेन में फंसे हरियाणवियों की मदद को आगे आई सरकार
चंडीगढ़ (ट्रिन्यू) : विदेश सहयोग विभाग हरियाणा के अधिकारियों ने शनिवार को वर्चुअल बैठक के माध्यम से यूक्रेन में फंसे हरियाणा के युवाओं और उनके अभिभावकों से बातचीत की। बैठक के दौरान अधिकारियों ने सभी मुद्दों को सुना और प्रतिभागियों को आश्वस्त किया कि हरियाणा सरकार यूक्रेन में हरियाणा के युवाओं को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए विदेश मंत्रालय, भारत सरकार (एमईए) के साथ लगातार संपर्क में है। अधिकारियों ने प्रतिभागियों को यह भी आश्वासन दिया कि विदेश मंत्रालय यूक्रेन में भारतीय समुदाय की मदद करने और स्थिति को संभालने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है।
पिता के निकले आंसू, बोले किसी तरह बच्चों को बचा लो
चरखी दादरी (निस) : यूक्रेन में फंसे युवाओं के अभिभावकों की चिंता लगातार बढ़ रही है। बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण पिछले दो दिनों से अभिभावक बच्चों से फोन पर भी बात नहीं कर पा रहे हैं। यूक्रेन में फंसे बच्चों के अभिभावक पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान से मिले और बच्चों की भारत वापसी करवाने की गुहार लगाई। इस दौरान उनके पिता की आंखों में आंसू आ गए और बोले, साहब… किसी तरह बच्चों को बचा लो। उनके पास न खाना है और न ही कपड़े। प्रशासन सुन नहीं रहा, सरकार के टोल फ्री नंबर पर कोई जवाब नहीं मिल रहा है। अभिभावक पहले डीसी ऑफिस और इसके बाद पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान से मिले और बच्चों की भारत वापसी करवाने की गुहार लगाई।
नूंह के 72 से ज्यादा बच्चे फंसे
नूंह/मेवात (निस) : यूक्रेन में फंसे नूंह के 72 से ज्यादा बच्चे फंसे हैं। इसको लेकर परिजन परेशान हैं और प्रशासन द्वारा जारी किए गए नंबरों पर लगातार संपर्क कर रहे हैं। ज्यादातर बच्चे पुन्हाना उपमंडल के हैं। गांव सलम्बा, पाठखोरी, बिछौर, बीसरू, अखलीमपुर, नई, मढियाकी व पुन्हाना आदि समेत जिला के अन्य गांव के ग्रामीण यूक्रेन में फंसे विद्यार्थियों के सकुशल वतन वापसी का इंतजार कर रहे हैं। परिजन भी कर्जा लेकर , पशु बेचकर या अन्य तरह से अपने बच्चों के खातों में खर्च के लिए पैसे डाल रहे हैं।