चंडीगढ़, 21 दिसंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा लोकसेवा आयोग के उपसचिव रहे अनिल नागर को नौकरियों में फर्जीवाड़े के आरोप में गिरफ्तार करके सुर्खियों में आए स्टेट विजिलेंस ब्यूरो की कार्यशैली पर विवाद भी है। विजिलेंस की काम करने की रफ्तार काफी धीमी है। भ्रष्टाचार से जुड़ी 175 ऐसी एफआईआर हैं, जो सालों से लंबित हैं। वहीं दूसरी ओर, राज्य में दलित उत्पीड़न के मामले पिछले तीन वर्षों में लगातार बढ़े हैं।
विधानसभा में अतारांकित सवालों के जवाब में इसका खुलासा हुआ है। विजिलेंस ब्यूरो में 30 नवंबर तक 175 एफआईआर लंबित हैं। अलग-अलग 41 विभागों तथा बोर्ड-निगमों में भ्रष्टाचार से जुड़े इन मामलों में सबसे अधिक 23 एफआईआर राजस्व एवं आपदा प्रबंधन ब्यूरो की हैं। वहीं पुलिस से जुड़े मामलों में 19 एफआईआर हैं। इसी तरह से 16 एफआईआर शहरी स्थानीय निकाय विभाग से जुड़ी हैं।
सीएम मनोहर लाल खट्टर की ओर से लिखित में दिए गए जवाब में बताया गया है कि सहकारिता विभाग की छह, विकास एवं पंचायत विभाग के नौ, शिक्षा विभाग के सात, आबकारी एवं कराधान विभाग के पांच, स्वास्थ्य विभाग के आठ, हरियाणा शहरी प्राधिकरण के चार, गैर विभागीय छह, राजनीतिक एवं संसदीय मामले छह, बिजली आठ, जनस्वास्थ्य विभाग के पांच जबकि अनुसूचित जातियां एवं पिछड़े वर्ग कल्याण की छह और परिवहन विभाग की तीन जांच लंबित हैं।
उत्पीड़न के 1223 मामले
राज्य में अनुसूचित जाति पर उत्पीड़न के मामले इस साल बढ़कर 1223 हो गए हैं। गुहला से जजपा विधायक ईश्वर सिंह के सवाल पर बताया गया कि 2018 में 1026 तथा 2019 में दलित उत्पीड़न के 1129 मामले सामने आए थे। अनुसूचित जाति के लोगों के उत्पीड़न से जुड़े मामलों में दोषियों को सजा होने का प्रतिशत काफी कम है। 2018 में 294 मामले निपटाए गए। इनमें से मैरिट पर निपटाए गए 83 मामलों में सजा हुई है, जबकि 117 मामलों में आरोपी बरी हो गए। 94 मामलों में गवाहों के मुकरने व सीआरपीसी की धारा 313 के तहत आरोपित का बयान खारिज होने के कारण 94 मामले रहे, जबकि कुल 42 फीसदी में सजा हुई।