16th Finance Commission : नगरपालिकाओं को सशक्त बनाने और शहरी शासन को बेहतर करने पर हुई चर्चा
चंडीगढ़, 28 अप्रैल
16वें केंद्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में सोमवार को शहरी स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसमें राज्य की नगरपालिकाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए प्रतिनिधियों से सुझाव प्राप्त किए गए।
इस दौरान, शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव विकास गुप्ता ने नगर पालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए विभाग द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों की जानकारी दी। करों, शुल्कों और अन्य फीस के न्यूनतम और अधिकतम दरों को तय करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, जो नगरपालिकाओं के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करेंगी।
नगर निगमों की वित्तीय शक्तियों को 2.50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये किया गया है। इसी प्रकार, नगरपालिका, परिषदों और समितियों की वित्तीय सीमा भी 1 करोड़ रुपये से 2.50 करोड़ रुपये और 25 लाख रुपये से 2.50 करोड़ रुपये तक बढ़ाई गई है। विभाग ने कार्यों में पारदर्शिता लाने और नागरिकों की सुविधाओं के लिए कई डिजिटल पोर्टल भी विकसित किए हैं।
उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में नगरपालिकाओं के इस्टैब्लिशमेंट खर्च का केवल 11 प्रतिशत स्वंय की आय से पूरा हो पा रहा है, जबकि शेष राज्य वित्त आयोग (SFC) अनुदानों के माध्यम से वहन किया जा रहा है। उन्होंने नगरपालिकाओं के लगातार बढ़ते खर्च को देखते हुए अतिरिक्त अनुदान देने की आवश्यकता की मांग की है।
उन्होंने बताया कि नगर लेखा सुधार (Municipal Accounting Reforms) लागू किए गए हैं। बजट बनाने व आय-व्यय की निगरानी के लिए एक विशेष पोर्टल भी बनाया गया है। इसके अलावा, संपत्ति कर दरों, कर स्लैब और जल दरों के पुनर्गठन पर भी विचार किया जा रहा है। 56 नगरपालिकाओं की विकास योजनाएं बनाई जा चुकी हैं और शेष कार्य प्रगति पर हैं।
बैठक में 6वें राज्य वित्त आयोग (2021-22 से 2025-26 अवधि के लिए गठित) की प्रगति पर भी चर्चा हुई। इस आयोग के तहत शहरी स्थानीय निकायों को 11,504.5 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें से नगरपालिकाओं को 8,203.4 करोड़ रुपये की राशि वित्तीय वर्ष 2024-25 तक जारी की जा चुकी है, जिसमें (SFC) आधारित अनुदान भी शामिल हैं।
बैठक में आयोग से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के 5 लाख से कम आबादी वाले शहरों के लिए विशेष अनुदान, शहरी सार्वजनिक परिवहन तथा शहरों में गलियों के पुर्ननिर्माण के लिए विशेष अनुदान की मांग की गई। इसके अलावा, खेल के मैदान और स्टेडियम जैसी मनोरंजनयुक्त सुविधाओं के विकास के लिए भी वित्तीय सहायता की सिफारिश की गई।