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नेपाल की भैंसों की नस्ल सुधारेंगे हिसार के 15 मुर्रा झोटे

कुमार मुकेश/हप्र हिसार, 7 नवंबर कम दूध उत्पादन क्षेमता वाली नेपाल की तराई, लिमे, गढ़ी और परकोटे नस्ल की भैंस की उत्पादन क्षमता सुधारने के लिए केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी) ने नेपाल को मुर्रा नस्ल के 15 झोटे दिए...
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हिसार में नेपाली प्रतिनिधिमंडल के साथ सीआईआरबी की टीम। -हप्र
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कुमार मुकेश/हप्र

हिसार, 7 नवंबर

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कम दूध उत्पादन क्षेमता वाली नेपाल की तराई, लिमे, गढ़ी और परकोटे नस्ल की भैंस की उत्पादन क्षमता सुधारने के लिए केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी) ने नेपाल को मुर्रा नस्ल के 15 झोटे दिए हैं। नेपाल की भैंसों की एक बयात अधिकतम दूध क्षमता 1500 लीटर से कम है और जो झोटे नेपाल को दिए गए हैं, उनकी मांओं की एक बयात की दूध उत्पादन क्षमता 3000 से अधिक की है। इसके लिए नेपाल सरकार से कुछ नहीं लिया जाएगा बल्कि यह उपहार में दिए गए हैं। इस अवसर पर नेपाल के पशुपालन विभाग की महानिदेशक डॉ. पमझाना कुमारी काफला, राष्ट्रीय पशु ब्रीडिंग ऑफिस के मुखिया डॉ. जगदीश पांडे, शिव नाथ मैहतो, पशु सेवाओं के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. राजेश यादव और सीआईआरबी के निदेशक डॉ. टीके दत्ता और आईसीएआर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पीके राउत आदि मौजूद थे। नेपाल के पशु अधिकारियों ने मुर्रा नस्ल के झोटे देखे और उनको नेपाल ले जाने के लिए जरूरी कागजी कार्रवाई  पूरी की।

उन्होंने लिखित में दिया है कि इन सभी झोटों का इस्तेमाल वे अपनी भैंस की नस्ल को सुधारने में करेंगे सीआईआरबी के निदेशक तीर्थ कुमार दत्ता के अनुसार यह सहयोगात्मक प्रयास नेपाल में भैंसों के आनुवंशिक पूल और उत्पादकता में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। नेपाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे डॉ. समझाना ने नेपाल के कृषि परिदृश्य पर इस आदान-प्रदान के संभावित प्रभाव पर जोर दिया।

दीपावली के बाद नेपाल जाएंगे

सीआईआरबी के प्रवक्ता नवनीत सक्सेना ने बताया कि यह सभी 15 मुर्रा नस्ल के झोटे संभवत: दीपावली के तुरंत बाद ट्रक में नेपाल रवाना किए जाएंगे। इससे पूर्व विदेश मंत्रालय से भी कुछ अनुमतियां लेनी हैं और इन झोटों के साथ चिकित्सकों की एक टीम भी नेपाल में जाएगी। इसके अलावा भारत-नेपाल बॉर्डर को क्लीयर करवाना आदि कार्य के लिए भी एक टीम की ड्यूटी लगाई जाएगी।

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