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धान की पराली जलाने के मामले में जींद के 13 गांव रेड जोन में

रोकने के लिए गांव से जिला स्तर तक टीमें गठित
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जींद के डीसी मोहम्मद इमरान रजा अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए।-हप्र
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जींद, 18 सितंबर (हप्र)

किसान इस बार खेतों में धान की पराली नहीं जलाएं, इसके लिए प्रशासन ने अभी से तैयारी कर ली है। पराली जलाने वालों पर नजर रखने के लिए टीमें गठित की गई हैं। जो किसान खेतों में धान की पराली जलाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने बुधवार को लघु सचिवालय सभागार में फसल अवशेष प्रबंधन पर संबंधित अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने सभी किसानों से धान के अवशेषों को नहीं जलाने का आह्वान करते हुए कहा कि इससे वातावरण दूषित होता है। किसान या तो धान अवशेषों को मशीनरी की सहायता से मिट्टी में मिला दें, या स्ट्रा बेलर से पराली की गांठें बनवा लें। उन्होंने कहा कि धान के अवशेष जलाने से भूमि की उपजाऊ शक्ति कम होती है। भूमि की उपरी सतह पर उपस्थित लाभदायक जीवाणु नष्ट हो जाते है। इसके साथ- साथ हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे पर्यावरण दूषित होता है।

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जींद के 13 गांव रेड जोन में : कृषि उप-निदेशक सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि जिला के जो 13 गांव धान की पराली जलाने के मामले में रेड जोन में हैं, उन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इनमें अलेवा, श्रीरागखेड़ा, दनौदा कलां, धमतान साहिब, चक उझाना, रसीदां, उझाना, जयपुर, मुआना, अलिपुरा, बडनपुर, करसिंधु गांव शामिल हैं।

किसानों को बताये जायेंगे पराली प्रबंधन के फायदे

उपायुक्त ने कहा कि धान की पराली में आग लगाए जाने को रोकने के लिए विभिन्न टीमों का गठन कर दिया गया है। गांव, खंड व जिला स्तर पर गठित की गई टीमें निगरानी करेंगी और अवहेलना करने वाले किसानों पर जुर्माना भी लगाएंगी। पराली जलाने के मामले में अति संवेदनशील गांवों पर विशेष निगरानी रखी जाए। इसके अलावा कृषि विभाग, ग्राम सचिव तथा पटवारियों की ग्राम स्तर पर टीमें बनाई गई हैं, जो किसानों को फसल अवशेष नहीं जलाने तथा पराली प्रबंधन के फायदों के बारे में जागरूक करेंगी।

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