13. 11 किलो की रसौली ने छीन ली थी सांसें, फतेहाबाद में सफल ऑपरेशन से मिली नई ज़िंदगी
कभी-कभी जीवन इतनी खामोशी से जकड़ लेता है कि दर्द भी आदत बन जाता है। कुछ ऐसा ही हाल था उस 21 वर्षीय युवती का, जिसके पेट में पल रही 11 किलो 300 ग्राम की रसौली ने उसकी दिनचर्या ही नहीं, जीने की उम्मीद भी छीन ली थी।
चलना मुश्किल, बैठना कठिन और सांस लेना तक भारी—इन तकलीफों से जूझती यह महिला जब फतेहाबाद के सिवाच हॉस्पिटल पहुंची, तो शायद उसे भी अंदाज़ा नहीं था कि उसकी कहानी अब बदलने वाली है।
डॉ. वीरेंद्र सिंह सिवाच, जो पिछले 34 वर्षों से शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाएं दे रहे हैं, ने इसे चुनौती के रूप में लिया। डॉ. अनुराधा सिवाच और डॉ. मीनाक्षी बंसल के सहयोग से यह जटिल सर्जरी की गई, जिसमें महिला के पेट से 11.3 किलो की रसौली को पूरी सावधानी के साथ निकाला गया।
ऑपरेशन के तुरंत बाद महिला की हालत स्थिर रही, और अब वह तेज़ी से स्वस्थ हो रही है। डॉक्टरों के मुताबिक, रसौली कई सालों से धीरे-धीरे बढ़ रही थी और शरीर के अंगों पर गंभीर दबाव बना रही थी। यदि इसे और देर से निकाला जाता, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती थी। यह ऑपरेशन सिर्फ एक मेडिकल प्रक्रिया नहीं था, बल्कि एक महिला को दोबारा सामान्य जीवन लौटाने का संकल्प था।
डॉ. सिवाच पहले भी ऐसे कई जटिल ऑपरेशन कर चुके हैं। पर इस बार न केवल रसौली का आकार अभूतपूर्व था, बल्कि मामला शारीरिक के साथ-साथ मानसिक तौर पर भी बेहद संवेदनशील था।