गुरुग्राम, 4 अप्रैल (हप्र)
मानेसर में नगर निगम बनने के बाद यहां के निवासियों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। यहां के 1 से 12 सेक्टर्स की देखरेख करना किसकी जिम्मेदारी है, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। एचएसआईआईडीसी ने इन सेक्टर्स से अपना पीछा छुड़ाते हुए चिट्ठी लिखकर निगम के हवाले कर दिया, लेकिन निगम अधिकारियों ने साफ तौर पर इन्हें स्वीकार करने से इनकार करते हुए इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं होने की बात कही।
हरियाणा राज्य औद्योगिक संरचनात्मक विकास निगम (एचएसआईआईडीसी) ने मानेसर में कुल 12 सेक्टर विकसित किए हैं। इनकी देखरेख की जिम्मेदारी भी निगम की है। हाल ही में मानेसर में नगर निगम गठन के बाद एचएसआईआईडीसी ने 9 फरवरी को चिट्ठी लिखकर उक्त सेक्टर्स से संबंधित जिम्मेदारी नगर निगम को सौंप दी। लेकिन कमिश्नर की ओर से 23 मार्च को चिट्ठी लिखकर जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया गया। अपने पत्र में निगम कमिश्नर ने तर्क दिया कि अभी तक उनके पास इससे संबंधित स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो पाई है। इसलिए सेक्टर्स की जिम्मेदारी अभी नहीं ली जा सकती। नगर निगम का दफ्तर फिलहाल एचएसआईआईडीसी के भवन में ही चल रहा है। लेकिन दोनों विभागों के बीच दो चिट्ठियों का आदान-प्रदान होने में 46 दिन लग गए। एचएसआईआईडीसी के अधिकारी सेक्टर्स सौंपने की चिट्ठी भेजकर इतने निश्चिंत हो गए कि 31 मार्च को समाप्त होने वाले सफाई सहित दूसरे कार्यों के टेंडर जारी ही नहीं किए गए। इसके चलते इन सेक्टर्स में गंदगी तेजी से बढ़ने लगी है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि सरकार ने बिना योजनागर खाका खींचे आधी अधूरी तैयारियों के साथ नगर निगम का गठन कर दिया। जिसका खामियाजा मानेसर नगर निगम के तहत आने वाले 29 गांवों, एचएसआईआईडीसी के 12 सेक्टर्स व सेक्टर 75 से 95 के निवासी भुगत रहे हैं। गांवों की पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है और संबंधित फंड जमा हो चुके हैं, जिस वजह से इतना बुरा हाल है कि सफाई तक नहीं हो रही है और न ही कूड़ा उठाया जा रहा है।
आईएमटी इंडस्टि्रयल एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन यादव का कहना है, ‘मानेसर के सेक्टर्स बहुत साफ सुथरे और अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं। अभी तक यहां सब-कुछ ठीक ठाक था लेकिन दो विभागों के अफसरों की मनमर्जी ने सब कुछ गड़बड़ कर दिया। इसी तरह सुंदर सरपंच का कहना है कि निगम ने दफ्तर तो ठीक से खोला नहीं है, प्रॉपर्टी टैक्स का दबाव पहले से ही डालना शुरू कर दिया।