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हरियाणा के 1032 प्राइवेट स्कूलों को फिर मिली एक साल की राहत

तीन लाख छात्रों की पढ़ाई पर लटका था खतरा
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हरियाणा सरकार ने एक बार फिर राज्य के 1032 अस्थाई मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को राहत दी है। इन स्कूलों की मान्यता शिक्षण सत्र 2025-26 के लिए एक वर्ष के लिए बढ़ा दी गई है। शिक्षा विभाग का यह निर्णय उन लाखों अभिभावकों और विद्यार्थियों के लिए राहत की सांस लेकर आया है, जिनका भविष्य मान्यता के अभाव में अधर में अटक सकता था।

यदि यह विस्तार नहीं मिलता, तो करीब तीन लाख छात्र-छात्राएं आठवीं, 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाते। बोर्ड नियमों के अनुसार, परीक्षा फार्म भरने के लिए किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से जुड़ा होना अनिवार्य है। वर्ष 2003 से हरियाणा में निजी स्कूलों की अस्थाई मान्यता का यह सिलसिला चलता आ रहा है।

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शुरूआत में प्रदेश में करीब 3200 स्कूल अस्थाई मान्यता के तहत संचालित थे। इनमें से 2106 स्कूलों ने समय के साथ शिक्षा निदेशालय के मानक पूरे कर स्थायी मान्यता प्राप्त कर ली। लेकिन 1032 स्कूल अब भी अधूरे मानकों के कारण ‘अस्थाई’ दर्जे से बाहर नहीं निकल पाए। इन स्कूलों के संचालक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा से कई बार मुलाकात कर चुके थे। छात्रों के भविष्य को देखते हुए सरकार ने अंततः इन संस्थानों को एक साल की अतिरिक्त मोहलत देने का निर्णय लिया।

22 सालों में भी पूरे नहीं कर मानक

शिक्षा विभाग के अनुसार, अधिकांश अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों में जगह की कमी, खेल मैदान, प्रयोगशाला और सुरक्षा प्रावधान जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। इन्हीं कारणों से उनकी स्थायी मान्यता बार-बार अटकती रही है। अब विभाग ने साफ चेतावनी देते हुए कहा है कि इस निर्णय को ‘अंतिम अवसर’ माना जाएगा। यदि स्कूल अगले शिक्षण सत्र तक सभी आवश्यक मानक पूरे नहीं करते, तो उन्हें नए दाखिले की अनुमति नहीं दी जाएगी।

एफिडेविट के साथ जवाबदेही तय

माध्यमिक शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि जिन संस्थानों को यह विस्तार मिला है, उन्हें एक एफिडेविट देना होगा। इसमें यह घोषित करना अनिवार्य होगा कि वे निर्धारित समय सीमा में सभी मानक पूरे कर स्थायी मान्यता प्राप्त करेंगे। मान्यता विस्तार उन्हीं स्कूलों को मिला है जो 30 अप्रैल, 2003 से पहले या 31 मार्च, 2007 तक स्थापित हैं और जिन्हें हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी से अस्थाई मान्यता प्राप्त है।

नरमी के साथ सख्त निगरानी

हरियाणा सरकार ने भले ही छात्रों के हित में राहत दी हो, लेकिन यह फैसला शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत पर भी सवाल उठाता है। आखिर 22 साल बाद भी इतने स्कूल न्यूनतम शैक्षणिक मानक क्यों नहीं पूरा कर पाए। शिक्षा विभाग का कहना है कि भविष्य में यह ‘अस्थाई राहत’ स्थायी प्रथा नहीं बनेगी। विभाग अब सख्त निगरानी प्रणाली लागू करेगा, ताकि आने वाले वर्षों में हर स्कूल नियमों के अनुरूप काम करे और छात्रों की शिक्षा किसी प्रशासनिक देरी की भेंट न चढ़े। हरियाणा में फिलहाल राहत का यह कदम जरूरी था, लेकिन असली परीक्षा अब इन 1032 स्कूलों की है, जिन्हें साबित करना होगा कि वे ‘अस्थाई’ नहीं, बल्कि ‘आदर्श’ शिक्षा संस्थान बनने की क्षमता रखते हैं।

 

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