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10 दिन के शिशु को बैलून एंजियोप्लास्टी के माध्यम से बचाया

अम्बाला शहर, 27 सितंबर (हप्र) अपनी तरह के एक अनोखे मामले में फोर्टिस अस्पताल मोहाली के पेडियाट्रिक कार्डिक साइंस डिपार्टमेंट ने बैलून एंजियोप्लास्टी के माध्यम से एक 10 दिन के शिशु की जान बचाई है, जो 1.3 किलोग्राम के बेहद...
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अम्बाला शहर, 27 सितंबर (हप्र)

अपनी तरह के एक अनोखे मामले में फोर्टिस अस्पताल मोहाली के पेडियाट्रिक कार्डिक साइंस डिपार्टमेंट ने बैलून एंजियोप्लास्टी के माध्यम से एक 10 दिन के शिशु की जान बचाई है, जो 1.3 किलोग्राम के बेहद कम वजन का था और कोक्र्टेशन ऑफ एओर्टा (महाधमनी के संकुचन) से पीड़ित था। पेडियाट्रिक कार्डिक साइंस डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रजत गुप्ता के अनुसार कोक्र्टेशन ऑफ एओर्टा (सीओए) एक जन्मजात हृदय दोष है और एओर्टा-मुख्य हृदय धमनी को संकुचित कर देता है जिससे रक्त का प्रवाह बाधित होता है।

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यह दोष हृदय पर अत्यधिक दबाव डालता है और सर्जरी में देरी से हृदय और फेफड़े प्रभावित हो सकते हैं और शिशु की जान को खतरा हो सकता है। चिकित्सीय जांच के बाद डॉ. गुप्ता के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने बच्ची की बैलून एंजियोप्लास्टी की जिसमें गर्दन में एक छोटा सा छेद करके उसकी संकरी धमनी को खोला गया, इससे ओपन हार्ट सर्जरी से बचा जा सका। शिशु की सेहत स्थिर हो गई और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। हालांकि उसके शरीर में रक्त की आपूर्ति बहाल करने के लिए उसे एक और बैलून एंजियोप्लास्टी से गुजरना पड़ा। सर्जरी के बाद बच्ची की सेहत स्थिर है और उसका वजन भी बढ़ गया है।

मामले पर चर्चा करते हुए डॉ. गुप्ता ने कहा कि तत्काल सर्जरी के लिए बहुत बीमार नवजात शिशुओं को स्थिर करने के लिए कोक्र्टेशन ऑफ एओर्टा के पहले उपचार के रूप में बैलून एंजियोप्लास्टी की जा सकती है। जन्मजात हृदय दोषों का शीघ्र पता लगाने के लिए जागरूकता फैलाने की जरूरत है।

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