मुख्य सड़कों से लेकर घरों तक भरा पानी, अंडरपास भी बने तालाब
बुधवार तड़के करीब 3 बजे से दोपहर 1 बजे तक नारनौल व आस-पास के क्षेत्रों में मूसलधार बारिश हुई, जिससे जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया। यह इस मानसून की अब तक की सबसे भारी वर्षा रही, जिसने जिला प्रशासन और नगर परिषद की तैयारियों की पोल खोल दी।
लगातार हो रही तेज बारिश के कारण मुख्य सड़कों से लेकर गलियों और अंडरपासों तक पानी भर गया। शहर की अधिकांश सड़कों पर दो से चार फीट तक पानी जमा हो गया, जिससे लोगों को आवाजाही में भारी दिक्कतें झेलनी पड़ीं। बच्चों, बुजुर्गों और नौकरी-पेशा लोगों को घरों से निकलना मुश्किल हो गया।
नारनौल के प्रमुख इलाकों रावका चौक, सैन चौक, गांधी कॉलोनी, मीरांजी, नई मंडी, केशव नगर, माली टिब्बा, खड़खड़ी, जमालपुर, नलापुर, डीसी-एसपी निवास क्षेत्र, कोर्ट परिसर, लघु सचिवालय, रेवाड़ी रोड, पार्क रोड, पीरगाह और रेस्ट हाउस क्षेत्र जलमग्न हो गए। यहां के सैकड़ों घरों में बारिश का पानी घुस गया, जिससे लाखों रुपये का घरेलू सामान खराब हो गया।
स्थानीय लोगों ने खुद अपने घरों के बाहर अवरोधक लगाकर पानी को रोकने का प्रयास किया। कई इलाकों में पहले से ही जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं थी, जिससे समस्या और बढ़ गई। प्रशासन ने बारिश से पहले जलभराव से निपटने के लिए बैठकें की थीं और छलक नदी की सफाई पर लाखों रुपये खर्च किए गए थे। लेकिन हकीकत में व्यवस्था पूरी तरह नाकाम रही। केवल ऊंचाई पर बसे मोहल्ले या नदी किनारे बसे क्षेत्र ही जलभराव से बच पाए।
कहां कितनी बारिश
नारनौल : 83 एमएम
महेंद्रगढ़ : 82.8 एमएम
अटेली: 35 एमएम
नांगल चौधरी : 35 एमएम
152 डी और रेलवे अंडरपास हुए पानी-पानी
बारिश के बाद 152 डी मार्ग व रेलवे अंडरपासों में तीन से चार फीट तक पानी भर गया। कुतबापुर और बड़कोदा अंडरपास पूरी तरह से बंद हो गए। जोरासी रेलवे क्रॉसिंग, लहरोड़ा-टाटला चौक, नागरिक अस्पताल, गर्ल्स कॉलेज और सीआईए रोड में इतना पानी भर गया कि कॉलोनियों का शहर से संपर्क टूट गया। इस दौरान वाहन चालकों को काफी परेशानी उठानी पड़ी।
किसानों के लिए मिली-जुली स्थिति
जहां एक ओर बाजरा, ग्वार और अरहर जैसी फसलों को बारिश से फायदा मिला है, वहीं कपास की फसल कीड़ों और अब अधिक पानी से बर्बादी के कगार पर पहुंच गई है। खेतों में पानी भरने से मिट्टी की नमी बढ़ी है और जलस्तर में सुधार की संभावना जताई जा रही है। किसानों का कहना है कि यदि बारिश संतुलित बनी रही तो इस बार फसलें बेहतर हो सकती हैं। लगातार उमस से परेशान लोगों को बारिश ने राहत तो दी, लेकिन शहर की लचर व्यवस्था ने उनकी परेशानियों को कई गुना बढ़ा दिया। प्रशासनिक स्तर पर व्यवस्था न होने के कारण नारनौल शहर के अधिकांश लोग दिनभर पानी के बीच फंसे रहे।