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सरकारी अस्पताल बनवाने के लिये ग्रामीणों का पैदल मार्च

रेवाड़ी, 13 जुलाई (हप्र) गांव में 200 बेड का सरकारी नागरिक अस्पताल बनवाने के लिए रामगढ़ भगवानपुर के ग्रामीणों द्वारा पिछने 27 दिनों से चलाया जा रहा आंदोलन व धरना प्रदर्शन सरकार व प्रशासन के लिए धीरे-धीरे गले की फांस...

रेवाड़ी, 13 जुलाई (हप्र)

गांव में 200 बेड का सरकारी नागरिक अस्पताल बनवाने के लिए रामगढ़ भगवानपुर के ग्रामीणों द्वारा पिछने 27 दिनों से चलाया जा रहा आंदोलन व धरना प्रदर्शन सरकार व प्रशासन के लिए धीरे-धीरे गले की फांस बनता जा रहा है। रविवार को विभिन्न गांवों के हजारों लोगों के काफिले ने आंदोलन स्थल रामगढ़ भगवानपुर से 9 किलोमीटर दूर जिला सचिवालय की ओर पैदल मार्च किया। इस काफिले में बड़ी संख्या में ग्रामीण ट्रैक्टरों व अन्य वाहनों में सवार थे। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। पैदल कूच की खबर से पुलिस प्रशासन अलर्ट दिखाई दिया। जिला सचिवालय के आसपास सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। आंदोलनकारी अपने हाथों में अस्पताल बनवाने संबंधी तख्तियां लेकर नारेबाजी करते दिखे। यह पैदल मार्च रामगढ़ भगवानपुर के सरपंच प्रतिनिधि अनिल कुमार के नेतृत्व में शुरू हुआ। अनिल ने कहा कि गांव में अस्पताल बनवाने के लिए ग्राम पंचायत ने लगभग 8 एकड़ जमीन सरकार के नाम की हुई है। यहां के सांसद व केन्द्रीय राज्य मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह ने वादा किया था कि उनके ही गांव में 200 बेड का नागरिक अस्पताल बनवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मांग को पूरा कराने के लिए ग्रामीणों ने अस्पताल बनाओ संघर्ष कमेटी का गठन किया है। जिसके तहत पिछले 27 दिनों से गांव में आंदोलन व अनिश्चिकालीन धरना चल रहा है। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा। कामरेड राजेन्द्र सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री आरती राव का नाम लिये बिना कहा कि मीडिया में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि धरनास्थल पर उनके खिलाफ अमर्यादित भाषा का प्रयास किया गया। जबकि यह पूरी तरह से गलत है। किसी भी वक्ता ने एक शब्द भी गलत नहीं बोला। तत्पश्चात संघर्ष समिति की ओर से मुख्यमंत्री के नाम जिला उपायुक्त कार्यालय को ज्ञापन सौंपा गया।

सरकार को दिया 30 दिन का अल्टीमेटम

फरीदाबाद (हप्र) : तोड़फोड़ के विरोध में रविवार को सुरजकुंड गोल चक्कर पर राष्ट्रीय स्तरीय महापंचायत का आयोजन किया गया। जिसमें देश, प्रदेश की विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के नेताओं के अलावा छत्तीस बिरादरी व सर्व समाज के साथ-साथ किन्नर समाज के लोगों ने विरोध जताया। पंचायत में सर्व सम्माति से निर्णय लिया गया कि सरकार तोड़फोड़ की इस कार्रवाई पर तुरन्त रोक लगाए और टूटे हुए निर्माणों का मुआवजा दे। वहीं 4500 एकड़ पहाड़ में से 2 हजार एकड़ पीएलपीए फोरेस्ट में देकर 2500 एकड़ जमीन जोकि ग्रामीणों की है, वह गांव के लोगों के इस्तेमाल के लिए छोड़ी जाए। 2500 एकड़ हमारा पहाड़ है उसको 1972 से एमसीएफ में है उसमें मास्टर प्लान के हिसाब हमें अधिकार दिलवाए। जब तक समस्या का समाधान नहीं होगा धरना जारी रहेगा। पंचायत ने सरकार को 30 दिन का अल्टीमेटम दिया।