वैट कर घोटाला : सिरसा आबकारी विभाग के तत्कालीन डीईटीसी सहित 9 पर एफआईआर
हिसार, 15 जुलाई (हप्र)फर्जी फर्मों के माध्यम से फर्जी व्यापार दर्शाकर कर लाखों रुपये का वैट कर रिफंड लेने और करोड़ों रुपये की रिकवरी न करने पर हिसार एंटी करेप्शन ब्यूरो ने आबकारी विभाग के डीईटीसी सहित 9 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि उक्त लोगों ने मिलीभगत करके फर्जी फर्म से कुल 19 लाख, 67 हजार रुपये, 338 रुपये का रिफंड ले लिया लेकिन करीब पांच करोड़ रुपये की रिकवरी नहीं की। हिसार एंटी करेप्शन ब्यूरो ने राजस्थान के अजमेर निवासी शिव साहनी की शिकायत पर सिरसा की फर्म मैसर्ज अग्रवाल एंड संस के मालिक सिरसा के रानिया गेट निवासी अशोक कुमार, पदक बंसल, अमित कुमार बंसल, आबकारी एवं कराधान विभाग सिरसा के तत्कालीन निरीक्षक कवर सिंह, तत्कालीन ईटीओ डीपी बैनिवाल, तत्कालीन आबकारी एवं कराधान आयुक्त नरेंद्र कुमार रंगा, आबकारी एवं कराधान उपायुक्त गोपीचंद चौधरी, आरके केसवानिया व एक अन्य स्वरूप चंद के खिलाफ पीसी एक्ट और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। एसीबी ने बताया कि राजस्थान के अजमेर निवासी शिव साहनी की शिकायत के आधार पर जांच की। जांच में सामने आया कि मैसर्ज अग्रवाल एंड संस ने वर्ष 2011-12 में सिरसा की रजत ट्रेडर्स सिरसा व बालाजी ट्रेडिंग कंपनी से 91 लाख, 67 हजार, 978 रुपये का 13.25 प्रतिशत वेट कर पर मामल खरीदा और राजस्थान के हनुमानगढ़ की श्री श्याम इंटरप्राइजिज और नोहर की श्री गणेश इंटरप्राइजिज को माल बेचना दर्शाकर विभाग से 9 लाख, 99 हजार, 171 रुपये का रिफंड प्राप्त किया। इसी प्रकार वर्ष 2012-13 के दौरान अग्रवाल एंड सेस ने सिरसा के रजत ट्रेडर्स, गंगाराम ट्रेडर्स, हजारी लाल श्याम सुंदर व तिरुपति ट्रेडर्स से 26 करोड़, 14 लाख, 71 हजार, 808 रुपय का माल 13.25 व 5.25 प्रतिशत वेटर कर पर खरीदकर नोहर की मैसर्ज अशोका ट्रेडर्स, जय भवानी ट्रेडिंग कंपनी को माल बेचना दर्शाकर 9 लाख, 95 हजार, 575 रुपये का रिफंड लिया। इस प्रकार इस फर्म ने कुल 19 लाख, 67 हजार रुपये, 338 रुपये का रिफंड लिया। यह रिफंड तत्कालीन ईटीओ अशोक सुखीजा, आबकारी एवं कराधान उपायुक्त नरेंद्र कुमार रंगा द्वारा दिया जाना पाया गया। 14 अक्तूबर, 2015 को तत्कालीन ईटीओ नीरज गर्ग ने स्क्रूटनी असेसमेंट के दौरान सी-फार्म का सत्यापन न होने पर एक करोड़, 56 लााख, 52 हजार, 289 रुपये की रिकवरी निकाली। 3 दिसंबर, 2015 को तत्कालीन ईटीओ अश्विनी सोनी ने सी-फार्म पेश न करने पर फार्म को नोटिस जारी किया और फिर ना मिलने पर तीन करोड़, 48 लाख, 85 हजार, 59 रुपये की रिकवरी के आदेश दिए लेकिन यह रिकवरी नहीं की गई।