इस मानसून की बारिश ने जहां पंजाब को बाढ़ में डूबो दिया है वहीं प्रदेश के काफी गांव अभी बाढ़ में डूब चुके हैं। यह सब इस बार प्रदेश में सावन के सवाया बरसने के कारण हुआ है।हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मदन खीचड़ ने बताया कि हरियाणा में अगस्त माह तक सामान्यतया कुल 353.5 मिलीमीटर बारिश होती है लेकिन इस बार 24.1 प्रतिशत ज्यादा 439.9 मिलीमीटर बारिश हुई है। अगस्त माह में प्रदेश में सामान्यतया 145.5 मिलीमीटर बारिश होती है लेकिन इस बार अब तक 194.1 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है जो 33 प्रतिशत ज्यादा है। इसी प्रकार हिसार की बात करें तो यहां अगस्त माह तक कुल 288.6 मिलीमीटर बारिश होना सामान्य बात है लेकिन इस बार 572.3 मिलीमीटर हुई है जो दोगुनी के बाराबर है। प्रोफेसर मदन खीचड़ ने बताया कि हरियाणा में मानसून इस बार 27 जून को आया और 1 जुलाई को सक्रिय हो गया। सामान्यतया 18 से 20 सितंबर को हरियाणा से मानसून वापस चला जाता है और इस बार भी इसी समय वापस चला जाएगा। इस बार मानसून इतना क्यों बरस रहा है, इस पर उन्होंने बताया कि उत्तर की तरफ मानसून की टर्फ बना हुआ है और पंजाब के उपर सम्लोनिक सर्कुलेशन बना हुआ है, जिसके कारण ज्यादा बारिश हुई है। 4 से 6 सितंबर तक बारिश के कुछ कम होने की संभावना है। प्रोफेसर मदन खीचड़ ने बताया कि ज्यादा बारिश होने से धान की फसल पर अभी तक ज्यादा नुकसान की संभावना नहीं है।
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