पीसीसी अध्यक्ष के लिए दक्षिण हरियाणा से सुगबुगाहट
प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पद को लेकर हो रहे देरी व दावदारों में खींचतान के बीच इस बार दक्षिण हरियाणा से अध्यक्ष बनाये जाने की मांग जोर पकड़ रही है। इस क्षेत्र को 1972 के बाद पीसीसी की कमान नहीं मिली है। पिछले डेढ़ दशक का राजनीतिक इतिहास देंखे ताे यहां कांग्रेस का जनाधार कम होता रहा है। इसी क्षेत्र के वोटर ने कांग्रेस से भाजपा की ओर शिफ्ट होकर उसकी प्रदेश में तीन बार लगातार सरकार बनवाने में अहम भूमिका अदा
की है।
पिछले विधानसभा चुनावों में भी इस क्षेत्र की 11 सीटों में से 10 सीटें भाजपा की झोली में गई थी। इन बातों को ध्यान में रखते हुए आवाज उठ रही है कि इस बार दक्षिण हरियाणा में कांग्रेस में दोबारा जान डालने के लिए यहां के किसी अनुभवी व पार्टी के निष्ठावान लीडर को मौका देना चाहिए।
पीसीसी अध्यक्ष पद के लिए रेस में कई नेता हैं, इनमें प्रमुख रूप से पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव, पूर्व विधायक राव दान सिंह, पूर्व विधायक राव नरेन्द्र सिंह व पूर्व विधायक चिरंजीव राव शामिल हैं।
वैसे भी 1972 के बाद से दक्षिण हरियाणा को प्रदेश की कमान नहीं सौंपी गई है। 1972 में अटेली के राव निहाल सिंह कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। तब से लेकर आज तक इस क्षेत्र को दोबारा यह दायित्व नहीं मिला। दक्षिण हरियाणा के सभी दावेदार वैसे तो ओबीसी से आते हैं, लेकिन कैप्टन अजय यादव से वरिष्ठ व अनुभवी नेता इनमें कोई नहीं है।
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सुभाष छाबड़ी, शहरी जिलाध्यक्ष प्रवीण चौधरी, ब्लॉक समिति सदस्य चन्द्रहास मनेठी, दयाराम नारनौल, महेन्द्रगढ़ जिला परिषद के पूर्व चेयरमैन सतीश यादव, गुरुग्राम उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण यादव का मानना है कि पार्टी इस क्षेत्र के मेहनती व चर्चित चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपे तो सत्ता में वापसी की जमीन तैयार हो सकती है।
कैप्टन अजय यादव सबसे चर्चित चेहरा
दक्षिण हरियाणा के कांग्रेस लीडर की जब बात की जाती है तो सबसे ऊपर व चर्चित नाम कैप्टन अजय यादव का नाम उभर कर सामने आता है। कैप्टन अजय यादव कांग्रेस ओबीसी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय चेयरमैन 6 बार रेवाड़ी हलका से विधायक रहे हैं। वे पूर्व वित्त मंत्री और 2005 में विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता भी रहे हैं। उन्होंने ओबीसी प्रकोष्ठ के तौर पर हरियाणा में ही नहीं पूरे देश में संगठन को मजबूत किया है। उनके राजनीतिक अनुभव का लाभ अध्यक्ष के तौर पर पार्टी उठा सकती है। परिवार की पृष्ठभूमि पर नजर डाले तो उनके पिता स्व. राव अभय सिंह यहां से तीन बाद विधायक रहे और उनके पुत्र चिरंजीव राव भी 2019 में विधायक चुने गए थे। चिरंजीव राव का नाम भी अध्यक्ष पद की दौड़ में बताया जाता है।
राव इंद्रजीत के गढ़ में सेंध लगाना टेढ़ी खीर
दक्षिण हरियाणा केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह व उनके परिवार का गढ़ रहा है। राव और उनकी मंत्री पुत्री आरती राव कई दफा दोहरा चुके हैं कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने का मार्ग इसी क्षेत्र ने प्रशस्त किया है। राव के गढ़ में सेंध लगाना कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। इसके लिए इसी क्षेत्र के किसी ओबीसी चेहरे को कांग्रेस आगे लाती है तो इसका लाभ मिलने की संभावना है। भाजपा ने ओबीसी नेताओं को खूब मौका दिया है और आगे बढ़ाया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, राव इन्द्रजीत सिंह, कृष्णपाल गुर्जर, पूर्व सांसद डा. सुधा यादव ओबीसी से आते हैं। इतना ही नहीं भाजपा ने ओबीसी वोटर पर पकड़ को मजबूत बनाये रखने के लिए केन्द्र सरकार में भी कई नेताओं को जगह दी है।