द ट्रिब्यून स्कूल का वार्षिकोत्सव : संस्कारों में गंूथी जादुई बाल कला संध्या
जैसे ही परदा उठा, मंच पर रोशनी और रंगों का ऐसा जादू बिखरा कि पूरा सभागार सांसें थामकर देखने लगा। नन्हे कलाकार जब कदमों की थिरकन और मासूम मुस्कान के साथ मंच पर उतरे, तो लगा मानो रचनात्मकता का सागर बह निकला हो। उनकी प्रस्तुतियों में छलकते आत्मविश्वास और ऊर्जा ने हर दर्शक को यह भरोसा दिलाया कि भविष्य की कला इन्हीं नन्हे हाथों में सुरक्षित है।
मंच पर यह जीवंत दृश्य द ट्रिब्यून स्कूल के वार्षिकोत्सव का था, जिसे इस वर्ष ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ थीम के साथ उत्साहपूर्वक आयोजित किया गया। यह विषय करुणा, एकता और प्रज्ञा के सहारे अंधकार से प्रकाश की ओर समाज की यात्रा का संदेश देता है। विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति, विविध प्रस्तुतियां और सांस्कृतिक ऊर्जा ने पूरे समारोह को अविस्मरणीय बना दिया।
कार्यक्रम सेक्टर 18 स्थित टैगोर थियेटर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में जस्टिस एस.एस. सोढ़ी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और उनके साथ श्रीमती बोनी सोढ़ी भी मौजूद रहीं। स्कूल प्रबंधन ने दोनों का स्वागत किया। एसएमसी सदस्य चांद नेहरू, कोमल आनंद और अनुराधा दुआ ने भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
द ट्रिब्यून ट्रस्ट के जनरल मैनेजर अमित शर्मा, दैनिक ट्रिब्यून के संपादक नरेश
इसके बाद प्रिंसिपल रानी पोद्दार ने प्रेरणादायक संबोधन दिया और विद्यार्थियों की रचनात्मकता, अनुशासन और उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त किया। जैसे-जैसे प्रस्तुतियां आगे बढ़ीं, मंच कला और संस्कृति का जीवंत संगम बन गया। योग प्रस्तुति ने संतुलन और मन की शांति का संदेश दिया। ‘फेथ स्टोरी’ ने आस्था और धर्मपरायणता की शक्ति को प्रभावशाली रूप में दर्शाया।
भरतनाट्यम की मनोहारी प्रस्तुति ने भारतीय विरासत की गहराई को उजागर किया। ‘कृष्णा स्टोरी’ ने भगवान कृष्ण के जीवन मूल्यों और शिक्षाओं को भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया। सार्वभौमिक भाईचारे पर आधारित माइम एक्ट ने दर्शकों को सोचने पर मजबूर किया, जबकि कोली नृत्य की ऊर्जावान प्रस्तुति ने पूरे सभागार में उमंग का माहौल बना दिया।
समारोह के ग्रैंड फिनाले ने रंग, संगीत और संदेश का ऐसा संगम प्रस्तुत किया जिसने पूरे कार्यक्रम की थीम को एक सूत्र में पिरो दिया। यह प्रस्तुति अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने और मानवता को जोड़ने वाली भावना का
