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सरकारी रेट 415, बाजार में बिक रहा 550 रुपये क्विंटल, किसानों की बढ़ी आमदनी

गन्ने ने बदली नूंह की तकदीर, किसानों की जेब में घुली मिठास दीपावली से पहले हरियाणा सरकार ने किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने गन्ने के भाव में 15 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा की...

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गन्ने ने बदली नूंह की तकदीर, किसानों की जेब में घुली मिठास

दीपावली से पहले हरियाणा सरकार ने किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने गन्ने के भाव में 15 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा की है। अब राज्य में गन्ना 400 की जगह 415 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से खरीदा जाएगा। इस फैसले के साथ हरियाणा देश का सबसे अधिक गन्ना मूल्य देने वाला राज्य बन गया है।

दिलचस्प बात यह है कि नूंह जिले में किसानों को सरकारी रेट से भी अधिक कीमत मिल रही है। यहां खेतों में गन्ना 500 से 550 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। दरअसल, नूंह जिले में सरकारी चीनी मिल नहीं होने के कारण किसान अपना गन्ना सीधे निजी खरीदारों को बेच रहे हैं। खरीदार गन्ना ट्रैक्टर-ट्राली या छोटे वाहनों में भरकर राजस्थान और आसपास के जिलों में ले जाते हैं।

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इससे बेरोजगार युवाओं को भी व्यापार का अवसर मिल रहा है, जो हर ट्रिप में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। यह सीजन लगभग दो महीने चलता है और इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ी है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है। गन्ना छिलने के बाद बचा हिस्सा पशुओं के लिए हरे चारे के रूप में काम आ रहा है।

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गांवों की महिलाएं खेतों से यह चारा इकट्ठा करती हैं, जिससे उनके पशुओं को सर्दियों में पर्याप्त चारा मिल रहा है और दूध उत्पादन में वृद्धि हुई है। इस बार बारिश से कुछ फसल को नुकसान जरूर हुआ, लेकिन ऊंचे भावों ने उसकी भरपाई कर दी है। नूंह के मामलीका, पापड़ा और बादली जैसे गांवों में सैकड़ों एकड़ में गन्ने की खेती हो रही है।

किसानों का कहना है कि उन्हें सरकारी भाव से करीब 150 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा कीमत मिल रही है। एक एकड़ गन्ने से डेढ़ से दो लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है। वे मांग कर रहे हैं कि यदि नूंह में सरकारी चीनी मिल खोली जाए तो उनकी आय दोगुनी हो सकती है। कुल मिलाकर, इस सीजन ने मेवात के गन्ने को ‘सोने से भी मीठा सौदा’ बना दिया है।

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