प्रकृति की दोहरी मार से अन्नदाता बेहाल, बारिश व ओलावृष्टि से धान की फसल बर्बाद
भिवानी में नहीं हो रही बाजरा की खरीद : जोगेंद्र तालु
प्रदेश का किसान इन दिनों .प्रकृति की दोहरी मार झेल रहा है। भिवानी में पहले ही जलभराव के कारण भारी आर्थिक नुकसान झेल चुके भिवानी जिला के किसानों पर एक बार फिर प्रकृति का कहर टूटा है। बीते रोज असमय बारिश और ओलावृष्टि ने धान (जीरी) की उस फसल को भी बर्बाद कर दिया है, जो कि बीते माह हुई भारी बारिश व जलभराव से बच गई थी। किसानों को हुए इस भारी नुकसान से अन्नदाताओं की कमर टूट गई है और अब वे सरकार से तत्काल मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
यह बात ग्राम स्वराज किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष जोगेंद्र तालु ने गांव मुंढ़ाल, तालु, बड़ेसरा, धनाना, मिताथल, घुसकानी, कुंगड़, बड़सी, पपोसा, रोहणात सहित कई गांवों में बर्बाद फसलों का निरीक्षण करते हुए कही।
प्रकृति की दोहरी मार- किसानों की सभी फसलें खराब
उन्होंने कहा कि बारिश व ओलावृष्टि के कारण धान की फसलें पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं। इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई करना उनके लिए मुश्किल हो गया है। जोगेंद्र तालु ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सरकार से तत्काल मदद की गुहार लगाई है।
उन्होंने कहा कि बीते माह आई भारी बारिश से खेतों में जलभराव के कारण किसानों को पहले ही बड़ा नुकसान हो चुका था। इसके बाद बाजरा बेचने के लिए भी किसानों को मंडियों में भारी परेशानियाँ झेलनी पड़ रही हैं, और अब फिर से बारिश व ओलावृष्टि ने किसानों की बची-कुची जीरी की फसल को भी बर्बाद कर दिया है।
जोगेंद्र तालु ने सरकार से किसानों को एक लाख रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा देने की मांग की है, ताकि उन्हें इस संकट की घड़ी में थोड़ी राहत मिल सके। किसानों की परेशानी को रेखांकित करते हुए तालु ने भिवानी जिले की राजनीतिक नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किए हैं।
उन्होंने कहा कि जिले में भाजपा के दो सांसद, तीन विधायक व एक मंत्री होने के बावजूद भी किसानों की बाजरा की फसल मंडियों में नहीं खरीदी जा रही है, जिसके कारण उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं, जो कि भाजपा सरकार की किसानों के प्रति उपेक्षापूर्ण नीति व रवैये को दर्शाता है। इस अवसर पर राज सिंह धनाना, राजकुमार जताई, दलशेर, ऋषि, विजेंद्र तालु भी साथ रहे।