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हरियाणा के पहले सीएम पंडित भगवत दयाल की पुश्तैनी विरासत विवादों में

मकान और प्लॉट को बेचना चाहते हैं कुछ लोग, परिजनों ने लगाया नो सेल का बोर्ड
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बेरी में परिवार द्वारा पंडित भगवत दयाल शर्मा की पुश्तैनी जमीन के बाहर लिखवाया गया बोर्ड। -हप्र
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प्रथम शर्मा

झज्जर, 11 अप्रैल

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हरियाणा के पहले सीएम रहे पंडित भगवत दयाल शर्मा की बेरी की पुश्तैनी विरासत इन दिनों विवादों में है। विवाद का कारण इस पुश्तैनी विरासत की बिक्री सबंधी विवाद है। परिजनों का आरोप है कि कुछ लोग उनकी इस विरासत को योजनाबद्ध तरीके से बेचना चाहते है,जबकि वह नहीं चाहते कि इसकी बिक्री है। इसके चलते इस पुश्तैनी विरासत में परिजनों द्वारा नो सेल का बोर्ड लगवा दिया गया है। इसमें स्पष्ट तौर पर लिखवा दिया गया है कि यह प्राॅपर्टी बिकाऊ नहीं है। बोर्ड पर एक फोन नंबर भी लिखवा दिया गया है, जिसमें स्पष्ट तौर पर संकेत दिया गया है कि कोई भी खरीदार इस प्राॅपर्टी को खरीदने से पहले इस फोन नंबर पर संपर्क करे।

हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री रहे पंडित भगवत दयाल शर्मा का जन्म झज्जर जिले के कस्बा बेरी में हुआ था। यहीं पर जिस घर में उनका जन्म हुआ था वह पुश्तैनी जमीन आज भी धरोहर के तौर पर बेरी में है। परिजनों की मानें तो बेरी में 150 वर्ग गज में जहां एक मकान बना हुआ है, वहीं इसके साथ ही एक 300 गज का खाली प्लॉट भी है। इसी पुश्तैनी जमीन को योजनाबद्ध तरीके से बेचने का प्रयास किया जा रहा है। पंडित भगवत दयाल शर्मा के छोटे बेटे महादेव शर्मा की पत्नी आशा शर्मा ने बताया कि इस घर को गलत तरीके से बेचने की कोशिश की जा रही है। बार-बार विवाद और खरीदारों के आने से वह तंग आ चुके हैं। इससे परेशान होकर उन्होंने घर के ऊपर पक्के तौर पर ही पेंट से लिखवा दिया है कि यह मकान बिकाऊ नहीं है। पंडित भगवत दयाल शर्मा की पुत्रवधु आशा शर्मा ने बताया कि 'कुछ लोग बार-बार इस ऐतिहासिक संपत्ति को खरीदने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि मकान को बेचा ही नहीं जा रहा। यह मकान पूर्व मुख्यमंत्री की विरासत है अौर परिवार इससे जुड़े भावनात्मक रिश्तों को खत्म नहीं करना चाहता। आशा ने बताया कि पहले भी मकान को दो बार बेचने का प्रयास किया जा चुका है। दो बार खरीदारों की ओर से बतौर ब्याना की रकम भी दी जा चुकी थी। मगर परिवार के प्रयासों से उस डील का रुकवा दिया गया।

परिवार की है यह योजना

आशा ने कहा कि पंडित भगवत दयाल शर्मा पूरे हरियाणा की शान रहे है। हालांकि पूरा परिवार अब बेरी से बाहर रहता है, फिर भी इस ऐतिहासिक मकान से भावनात्मक जुड़ाव है। यह मकान एक सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे सहेजना उनका कर्तव्य है। परिवार की योजना है कि इस मकान में लाइब्रेरी और बुजुर्गों के बैठने की जगह बनाई जाए। उद्देश्य है कि आने वाली पीढ़ियां भी प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री की विरासत को जान सकें।

यह बोले ग्रामीण

ग्रामीणों ने कहा कि इस मकान में पंडित भगवत दयाल का जन्म जरूर हुआ था, लेकिन यह उनके हिस्से की जमीन नहीं है। यह मकान बेनी प्रसाद के परिवार का है। पंडित भगवत दयाल को रोहतक में उनकी बुआ ने गोद लिया हुआ था। जिसके बाद उनका जमीन से कोई संबंध नहीं रहा। पंडित हीरालाल शर्मा के दो बेटे बड़ा बेटा पंडित उमराव सिंह और छोटे बेटा पंडित भगवत दयाल शर्मा थे। उमराव सिंह के दो बेटे बैनी प्रसाद और पंडित श्रीनिवास और दो बेटियां कैलाश शर्मा और प्रकाश शर्मा थीं। वहीं पंडित भगवत दयाल शर्मा के तीन बेटे राजेश शर्मा, भारत शर्मा, महादेव शर्मा और तीन ही बेटियां थीं। पंडित भगवत दयाल शर्मा को रोहतक के पंडित मुरारी लाल शर्मा ने गोद लिया था।

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