‘तकनीकी परिवर्तनों को जीवन में करना होगा आत्मसात’
राज्यसभा के उपाध्यक्ष हरिवंश नारायण सिंह ने बुधवार को मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज में हैरिवंश एक्सपेरिमेंट विद एडवोकेसी जर्नलिज़्म, फ्रॉम एड्स टू एक्शन, वड्र्स टू चेंज पुस्तक का अनावरण किया। अपने संबोधन में हरिवंश नारायण सिंह ने एडवोकेसी पत्रकारिता में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब हमने पत्रकारिता की यात्रा शुरू की थी, तब संसाधन नहीं थे और हमारे अखबार का भविष्य भी अनिश्नित था। फिर भी, दृढ़ निश्चय, रचनात्मकता और लगातार प्रयास के माध्यम से हमने पाठकों तक पहुंचने और सार्थक प्रभाव डालने के तरीके खोजे। आज की तेजी से बदलती तकनीकी दुनिया में एल्विन टॉफलर ने सही कहा है कि जो पढ़ना और लिखना नहीं जानते, वे अप्रचलित हो जाएंगे, लेकिन यह केवल साक्षरता तक सीमित नहीं है, हर व्यक्ति को अपने चारों ओर हो रहे तकनीकी परिवर्तनों को समझना और उन्हें जीवन में आत्मसात करना होगा, अन्यथा पीछे रह जाएंगे। यह पुस्तक युवाओं को एक महत्वपूर्ण संदेश देती है, चुनौतियों को अपनाएं, नवाचारी सोच रखें और बदलते समय के अनुसार अपने भविष्य को आकार दें। एमआरआईआईआरएस के कुलपति प्रो. डॉ. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की पहचान केवल उनके शब्दों या कार्यों से नहीं बल्कि उनके द्वारा छोड़े गए सूक्ष्म प्रभावों से भी बनती है। बोलने से पहले ही उनकी मौजूदगी प्रभाव डालती है। हरिवंश नारायण सिंह ने छात्रों के साथ एक संवादात्मक सत्र में भी भाग लिया, जिसमें उन्होंने सामाजिक बदलाव लाने में साहसिक विचारों और लगातार प्रयास की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने फ्रांस में हुई क्रांतियों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे नए विचारों ने समाजों को आकार दिया और लोगों को प्रभावित किया।