स्टिल्ट प्लस 4 नीति पर सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश, हाईकोर्ट जल्द सुने मामला
हरियाणा सरकार की स्टिल्ट+4 मंजिला निर्माण नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अंतरिम राहत की मांग करने की अनुमति दी है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया है कि इस जनहित याचिका पर शीघ्र सुनवाई सुनिश्चित की जाए। यह याचिका सुनील सिंह नामक नागरिक द्वारा दायर की गई है, जिसमें 2 जुलाई 2024 को राज्य सरकार द्वारा जारी उस अधिसूचना को चुनौती दी गई है, जिसके तहत हरियाणा के शहरी रिहायशी क्षेत्रों में स्टिल्ट पार्किंग सहित चार मंजिला भवनों के निर्माण की अनुमति दी गई है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह नीति विशेष रूप से गुरुग्राम जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में जलापूर्ति, सीवरेज, सड़क और ड्रेनेज जैसी बुनियादी सुविधाओं पर अतिरिक्त दबाव डालेगी, जिससे जीवन स्तर प्रभावित होगा और शहरी ढांचा असंतुलित हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता की अंतरिम राहत से संबंधित मांगों पर अब हाईकोर्ट ही गुण-दोष के आधार पर विचार करेगा। याचिका में इस नीति के तहत नए निर्माण कार्यों पर तत्काल रोक लगाने के साथ-साथ पहले से स्वीकृत प्रोजेक्ट्स को दिए जा रहे ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट भी रद्द करने की मांग की गई है। इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता ने एक स्वतंत्र निगरानी समिति गठित करने की भी मांग की है, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करें। यह समिति भवन मानदंडों और पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों के पालन की निगरानी करेगी, ताकि अनियंत्रित शहरीकरण से होने वाले दुष्प्रभावों को रोका जा सके। फिलहाल, यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में 30 अक्तूबर को सूचीबद्ध है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इसे अगस्त में ही सुनवाई के लिए लिया जा सकता है। याचिकाकर्ता की वकील निवेदिता शर्मा ने कहा कि यह एक गंभीर जनहित का मुद्दा है।