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सुनील जागलान : सरपंच से शिक्षक तक की प्रेरणादायक यात्रा

बीबीपुर के पूर्व सरपंच, अब एमडीयू में प्रोफेसर, समाज में ला रहे क्रांतिकारी बदलाव
प्रो. सुनील जागलान
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शिक्षक दिवस के मौके पर अगर किसी व्यक्ति की प्रेरणादायक यात्रा को सलाम किया जाना चाहिए, तो वो हैं जींद जिले के बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान, जो आज महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक (एमडीयू) में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर कार्यरत हैं। एक साधारण गांव से शुरू हुआ उनका सफर आज सामाजिक सुधार, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा में बदलाव की मिसाल बन चुका है।

न्यूयॉर्क टाइम्स के पहले भारतीय प्रोफाइल- सुनील जागलान

सुनील जागलान देश के पहले ऐसे सरपंच हैं जिन्हें न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने पहले पृष्ठ पर प्रोफाइल किया। इसके अलावा द गार्डियन, कॉस्मोपॉलिटन, वैनिटी फेयर, वॉयस ऑफ अमेरिका, डीडब्ल्यू, एनएचके जापान, और द पेपर जैसे दर्जनों अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने उनके कार्यों को वैश्विक स्तर पर सराहा है।

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डिजिटल पंचायत से बनी पहचान

साल 2010 में बीबीपुर की पंचायत को देश की पहली डिजिटल पंचायत बनाने का श्रेय भी जागलान को ही जाता है। अपने सरपंच कार्यकाल (2010–2015) में उन्होंने:

महिला हितैषी पंचायत, बाल हितैषी पंचायत,स्वच्छ ग्राम पंचायत जैसी पहलें शुरू कर नई दिशा दी। महिला ग्राम सभा और खाप महापंचायत में महिलाओं की भागीदारी जैसे क्रांतिकारी कदम उन्होंने ही शुरू किए।

बेटी बचाओ की वैश्विक मुहिम : सेल्फी विद डॉटर

सुनील जागलान 'सेल्फी विद डॉटर' अभियान के जनक हैं, जिसे उन्होंने 9 जून 2015 को शुरू किया। इस अभियान ने बेटियों के प्रति समाज की सोच को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आज 80 से अधिक देशों में फैल चुका है। उनके पंचायत कार्यकाल में 50,000 घरों में बेटियों के नाम की नेमप्लेट लगाई गई, जिसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी सराहना की। दूरदर्शन के शो 'सलाम इंडिया' और डॉक्यूमेंट्री 'सनराइज' ने दुनिया का ध्यान उनके काम की तरफ बटोरा। सनराइज को बाद में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला। महिलाओं के प्रति अपमानजनक भाषा को रोकने के लिए 'गाली बंद घर अभियान' शुरू किया गया। ग्राम सभाओं में इस पर खुली चर्चा कर सामाजिक व्यवहार में सुधार की कोशिश की गई।

मासिक धर्म जागरूकता और एआई पंचायत

2019 में शुरू किया 'पीरियड चार्ट अभियान', जो मासिक धर्म पर जागरूकता के लिए था। 2024 में शुरू हुआ एआई फ्रेंडली पंचायत अभियान, जिसके तहत पंचायतों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग की ट्रेनिंग दी जा रही है। 'सबला अभियान' के अंतर्गत महिलाओं के खिलाफ अपशब्दों पर एफआईआर जैसी सख्त कार्रवाई की जा रही है।

यूनिसेफ और एमडीयू में सुनील जागलान की सक्रिय भूमिका

वर्तमान में सुनील जागलान यूनिसेफ के साथ बाल हितैषी पंचायतों पर काम कर रहे हैं। साथ ही एमडीयू में विद्यार्थियों को ग्राम पंचायतों की कार्यप्रणाली,महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण संरक्षण, मानसिक स्वास्थ्य और एनईपी 2020 के तहत नवाचार सिखा रहे हैं। उन्होंने विकसित भारत 2047 के लिए समावेशी विकास मॉडल भी तैयार किया है, जो उनके 15 वर्षों के अनुभव, 10,000 गांवों की यात्राएं और 2,000 ग्राम सभाओं की भागीदारी पर आधारित है।

राष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ सरपंच पुरस्कार – 2013 व 2014

2012 में मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा द्वारा सुनील जागलान को 1 करोड़ रुपये का पुरस्कार दिया गया। उनकी पुस्तक ए विलेज नेम्ड बीबीपुर कक्षा आठवीं की पाठ्यपुस्तक में शामिल है। सुनील जागलान का मानना है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है, यह समाज को बेहतर बनाने का एक उपकरण है।

 

जींद के बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच जागलान ने लॉन्च किया नया अभियान

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