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मौनी अमावस्या पर महाकुंभ स्नान का विशेष महत्व : त्रिलोक

अरविंद शर्मा/हप्रजगाधरी, 28 जनवरी 29 जनवरी को मौनी अमावस्य है। इस दिन पवित्र जल से स्नान करने पर अपार पुण्य मिलता है। प्राचीन सूर्यकुंंड मंदिर अमादलपुर के आचार्य त्रिलोक महाराज ने बताया कि मौनी अमावस्य पर महाकुंभ का दूसरा अमृत...
प्राचीन सूर्य कुंड मंदिर अमादलपुर के आचार्य त्रिलोक शास्त्री। निस
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अरविंद शर्मा/हप्रजगाधरी, 28 जनवरी

29 जनवरी को मौनी अमावस्य है। इस दिन पवित्र जल से स्नान करने पर अपार पुण्य मिलता है। प्राचीन सूर्यकुंंड मंदिर अमादलपुर के आचार्य त्रिलोक महाराज ने बताया कि मौनी अमावस्य पर महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी इसी दिन होगा। हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या के दिन होने वाले इस स्नान का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ के अमृत स्नान को अत्यंत पवित्र और कल्याणकारी माना गया है। आचार्य त्रिलोक ने कहा कि कुंभ स्नान न कर पाने वाले यमुना, गंगा आदि पवित्र नदियों में भी डुबकी लगा सकते हैं। बुजुर्ग व बीमार व्यक्ति गंगा जल या फिर इन नदियों के जल से अपने घरों पर स्नान कर सकते हैं। आचार्य का कहना है कि इस साल मौनी अमावस्या के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में होंगे, जबकि गुरु वृषभ राशि में स्थित रहेंगे। इससे इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। ग्रहों की स्थिति के अनुसार तय की गई अमृत स्नान की तिथियां अत्यंत शुभ मानी जाती हैं। उन्होंने बताया पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि का आरंभ 28 जनवरी मंगलवार की शाम में 7.32 बजे होगा और अगले दिन 29 जनवरी को शाम में 6.05 बजे मिनट तक रहेगा। मौनी अमावस्या के मौके पर नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आचार्य त्रिलोक सुबह जल्दी उठकर पवित्र जल से स्नान करें। उनका कहना है कि इस दिन शुभ कार्य शुरू करने से परहेज करें। हरि भजन करें। भगवन विष्णु व माता लक्ष्मी का पूजन करें। स्नान व पूजन के उपरांत सुपात्रों को दान दें।

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