Sonipat News-डीसीआरयूएसटी के शोधकर्ताओं ने विकसित किया नया जंगरोधी फार्मूला
इस इनोवेटिव फॉर्मूले को भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता मिल गई है, जिससे इसकी विश्वसनीयता और औद्योगिक क्षेत्र में इसके प्रभाव को मजबूती मिली है। यह किफायती और इस्तेमाल में आसान फॉर्मूला डीसीआरयूएसटी के रसायन विज्ञान विभाग के समर्पित शोधकर्ताओं की पिछले एक वर्ष की कड़ी मेहनत का परिणाम है।
रसायन विज्ञान विभाग में कई प्रयोगों और परीक्षणों के बाद, शोधकर्ताओं ने आखिरकार ऐसा फार्मूला तैयार किया, जिसमें तेल, हैलाइड आयन और सर्फेक्टेंट्स को एक सटीक अनुपात में मिलाया गया है। यह मिश्रण माइल्ड स्टील की सतह पर एक सुरक्षात्मक परत बनाता है, जो उसे हवा, पानी और नमी के संपर्क में आने पर भी जंग से बचाता है।
इस खोज की एक और खासियत यह है कि यह फार्मूला सामान्य वातावरण ही नहीं, बल्कि हल्के अम्लीय परिस्थितियों में भी माइल्ड स्टील को सुरक्षित रख सकता है। यह औद्योगिक माहौल में काम आने वाली सामग्री के लिए बड़ी उपलब्धि है।
कई उद्योगों में उपयोगी
माइल्ड स्टील का उपयोग पुलों के निर्माण, रेलवे ट्रैक, इमारतों के ढांचे, बॉयलर और भारी मशीनरी में बड़े पैमाने पर किया जाता है। हालांकि, जंग लगने की वजह से इन संरचनाओं और उपकरणों की उम्र काफी कम हो जाती है, जिससे महंगा रखरखाव और मरम्मत की जरूरत पड़ती है। इस नये फॉर्मूले के जरिए माइल्ड स्टील की उम्र काफी बढ़ाई जा सकती है, जिससे खर्च कम होगा और इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा में भी सुधार होगा।
विश्वविद्यालय प्रशासन का महत्वपूर्ण सहयोग
इस शोध दल का नेतृत्व डॉ. प्रीति पाहूजा सतीजा ने प्रो. सुमन लता और डॉ. सुमित कुमार के मार्गदर्शन में किया। इस नवाचार का पेटेंट पहली बार 7 अगस्त 2020 को प्रकाशित हुआ था और विस्तृत जांच व मूल्यांकन के बाद 27 फरवरी 2025 को भारतीय पेटेंट कार्यालय ने इसे आधिकारिक मंजूरी दे दी। यह पेटेंट इस आविष्कार की नवीनता, औद्योगिक उपयोगिता और तकनीकी महत्व को प्रमाणित करता है। उन्होंने इस सफलता का श्रेय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रकाश सिंह को दिया।