देव दीपावली पर 5100 दीपक से जगमग हुआ सिद्धदाता आश्रम
देव दीपावली के अवसर पर सूरजकुंड रोड स्थित श्री सिद्धदाता आश्रम परिसर 5100 दीयों से जगमगा उठा। इन दीयों को दर्जनों स्वयंसेवकों ने देशी घी और तिल के तेल से प्रज्ज्वलित किया। इस दीपकों की रोशनी ने भक्तों को आनंदित कर दिया। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन को भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर का वध करने के स्मरण के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन देवताओं ने काशी के घाट पर एकत्रित होकर गंगा स्नान किया था और घाट पर दीए जलाए थे। तभी से देव दीपावली मनाने का विधान चल पड़ा। इस अवसर पर आश्रम के पीठाधीश्वर जगदगुरु स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने बताया कि हमारे यहां प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के रूप में मनाने की परंपरा है। इस दिन देवताओं ने राक्षसों के आतंक से मुक्त होने की प्रसन्नता में भगवान की संयुक्त रूप से स्तुति की थी। इस दिन स्नान एवं दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन सभी को प्रात: नदी में स्नान करने के बाद दान करना चाहिए। इससे पापों से मुक्ति मिलती है। बता दें कि श्री सिद्धदाता आश्रम में देव दीपावली की जगमग को देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
