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मदवि में शोधार्थियों ने किया कुलपति कार्यालय का घेराव

नेट सर्टिफिकेट को इनवेलिड करार देने के फरमान का विरोध

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रोहतक के मदवि में बुधवार को प्रदर्शन कर रहे शोधार्थियों से बात करते डीन एकेडमिक अफ़ेयर प्रो एससी मलिक। -हप्र
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महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) में पीएचडी के दाखिले के लिए दिसंबर 2024 से पहले वाले सभी नेट सर्टिफिकेट को इनवैलिड करार देने के खिलाफ बुधवार को छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा। नाराज शोधार्थियों ने प्रदीप देशवाल के नेतृत्व में कुलपति कार्यालय का घेराव किया। करीब एक घंटा तक नारेबाज़ी करने के बाद भी कोई अधिकारी नहीं पहुंचा तो शोधार्थियों ने कुलपति कार्यालय बंद करवा दिया। शोधार्थियों द्वारा कुलपति कार्यालय पर कुंडी लगने की सूचना मिलने पर आनन-फ़ानन में डीन एकेडमिक अफ़ेयर प्रो एससी मलिक बात करने ले लिए पहुंचे और प्रदर्शनकारी शोधार्थियों को समझाने का प्रयास किया। दोनों पक्षों की बातचीत के बाद पूरी दाख़िला प्रक्रिया को होल्ड पर रखे जाने का आदेश जारी होने के बाद ही छात्र शांत हुए।

मदवि इन दिनों अपने निर्णयों व विवादों के कारण सुर्खियों में है। ताजा विवाद मदवि में पीएचडी के दाखिलों को लेकर है। दाखिले हेतु प्रवेश प्रक्रिया चल रही थी और काफ़ी संख्या मे छात्रों ने प्रवेश ले लिया था। इसी बीच इमसार विभाग में पीएचडी दाखिले को लेकर मदवि प्रशासन ने आदेश जारी कर कहा कि जिन छात्रों का नेट सर्टिफिकेट दिसंबर, 2024 से पहले का है उसको पीएचडी के दाखिलों हेतु अयोग्य माना जाएगा। इसके अतिरिक्त जिन विद्यार्थियों ने दिसंबर, 2024 से पहले के नेट सर्टिफिकेट के आधार पर पीएचडी में दाखिला ले रखा है उनको भी रद्द किया जाए।

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मदवि के इस आदेश को छात्र विरोधी करार देते हुए इसकी वैधता पर भी सवाल उठाए गए। इस संबंध में शोधार्थियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने छात्र नेता डॉ. प्रदीप देशवाल के नेतृत्व में उसी दिन डीन एकेडमिक अफेयर प्रो. एससी मलिक से मुलाक़ात की और पूरे मामले में क़ानूनी पहलू पर अपना पक्ष रखा। परंतु मदवि प्रशासन अपनी जिद पर अड़ा रहा और दाखिले रद्द कर दिए।

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डॉ. प्रदीप देशवाल ने बताया कि मदवि प्रशासन हर रोज ऐसे आदेश जारी कर रहा है जो छात्र विरोधी होने के साथ-साथ गैरकानूनी भी हैं। यूजीसी नेट की वैधता आजीवन है, परंतु मदवि प्रशासन का मानना है कि दिसंबर, 2024 से पहले के सभी नेट सर्टिफिकेट पीएचडी दाखिले हेतु अमान्य हैं। प्रदीप देशवाल ने बताया कि इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट ने भी यथास्थिति बनाए रखने व जिन याचिकाकर्ता शोधार्थियों के दाखिले कैंसिल किए है उनकी पीएचडी की सीट हॉल्ड करने की बात कही है।

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