एक बार फिर शहर मंगलवार को आई जोरदार बारिश के चलते जलमग्न हो गया। इससे आमजन को आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, वहीं दूसरी आेर, अनाज मंडी में खुले में पड़ी बाजरे की फसल पूरी तरह से भीग गई। मंडी में एक माह पहले ठीक किया गए टीन के शैड़ का कुछ हिस्सा नीचे गया जिसकी वजह से शैड़ के नीचे पड़ी बाजरे की फसल भी भीग गई और खराब हो गई। बरसाती पानी से भीगे हुए बाजरे की फसल को किसान अपनी हथेली से उठाते हुए दिखाई दिए। आढ़ती व किसानों बरसात के आने और बाजरे के भीग जाने की वजह से काफी परेशान दिखे और उन्होंने समय पर खरीद न होने के लिए इस स्थिति का जिम्मेवार ठहराया। उनका कहना था कि यदि समय रहते शासन और प्रशासन खरीद के लिए कदम उठा लेते हुए तो ऐसी स्थिति न होती। किसानों और आढ़तियों ने भांवातर भरपाई योजना को भी किसानों के लिए नाकाफी बताया। एक अनुमान के मुताबिक झज्जर मंडी में करीब तीन करोड़ रूपए का पन्द्रह हजार किवन्टल बाजरा इस बरसात की वजह से खराब होना बताया गया है। बरसात के बाद किसान और आढ़ती शासन और प्रशासन को कोसते हुए दिखाई दिए। उधर लगातार तीसरे दिन हुई बारिश से लोगों को गर्मी और उमस से राहत तो मिली, लेकिन ओलों और जलभराव ने परेशानी भी बढ़ा दी है।
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