पंजाब द्वारा सतलुज के पानी को रोकना गैर वाजिब: जितेन्द्र नाथ
यह पानी तीन राज्यों में जाता है। राजस्थान, हरियाणा व पंजाब इसलिए पंजाब को इस प्रकार से पानी रोकने का कोई अधिकार नहीं है। हर राज्य के हक का पानी देने का काम बी.बी.एम.बी भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड का है।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए जितेन्द्र नाथ ने कहा कि पंजाब सरकार की नीयत हमेशा हरियाणा के लोगों के प्रति द्वेष पूर्ण रही है। 29 जनवरी, 1955 को भी जब हरियाणा पंजाब स्टेट का हिस्सा होता था, तब 1.2 एम.ए.एफ हरियाणा के हिस्से में आया था परन्तु फिर भी हरियाणा की धरती प्यासी है। हरियाणा में ये पानी कभी नहीं आया दक्षिण हरियाणा के लोग प्यासे मर रहे हैं। इसलिए अब जरूरी हो गया है हरियाणा प्रदेश सीधे भाखड़ा डैम से नालागढ़, बद्दी, पिंजौर के रास्ते नहर बनाकर अपने हक का पानी पंजाब की बजाय हिमाचल प्रदेश से ले। इससे 3 समस्याओं का हल होगा।
उन्होंने कहा कि रावी, व्यास नदियों का सरप्लस पानी हांसी बुटाना की बजाय इस रास्ते से आ सकेगा। चेनाब नदी से 30 हजार क्यूसेक पानी चूरू व नागौर राजस्थान के लिए उपलब्ध हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि उपरोक्त विषयों के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति ने कर दी है व सरकार को दे दी है। इस प्रोजेक्ट रिपोर्ट से 6 महीने के अन्दर पानी लाया जा सकता है। पाकिस्तान में जाने वाला पानी भी रोक दिया जाएगा। हरियाणा की पंजाब पर निर्भता भी खत्म हो जाएगी। इस परियोजना पर कुल लगभग 4200 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। यह केवल 67 किलोमीटर का रास्ता है।
उन्होंने कहा कि सिंधु जल समझौता 1960 स्थगित करने पर समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया।