‘जेल आत्ममंथन और आत्म परिवर्तन की भी भूमि’
गुरुदेव उपेंद्र मुनि महाराज ने कहा कि मनुष्य गलती कर सकता है, लेकिन वह गलती उसका भविष्य तय नहीं करती। भविष्य वही तय करता है कि व्यक्ति अपनी भूलों से क्या सीख लेता है और आगे किस मार्ग पर चलता है। गुरुदेव उपेंद्र मुनि महाराज ने बृहस्पतिवार को जिला जेल में विशेष आध्यात्मिक कार्यक्रम के दौरान प्रवचन दिये और यह बात कही। कैदियों को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि आत्मज्ञान, संयम और क्षमा ही जीवन को सही दिशा प्रदान करते हैं। उन्होंने कैदियों का नशा, क्रोध, हिंसा और नकारात्मकता से मुक्त होकर नये संकल्पों के साथ जीवन जीने का आह्वान किया। उन्होंने समझाया कि हर मानव के भीतर परिवर्तन की अपार क्षमता होती है। जेल केवल दंड का स्थान नहीं, बल्कि आत्म-मंथन और आत्म-परिवर्तन की भी भूमि है। जेल की चारदीवारी को बाधा नहीं, एक नये जीवन की तैयारी का स्थान मानें और अपने परिवारों व समाज के लिए सकारात्मक सोच और अच्छे आचरण के साथ आगे बढ़ें। डिप्टी जेलर दीपक हुड्डा ने बताया कि इस कार्यक्रम का आयोजन जेल प्रशासन की सकारात्मक सुधार-सकारात्मक समाज पहल के तहत किया गया, जिसका उद्देश्य कैदियों के मनोबल को बढ़ाना और उन्हें नयी दिशा प्रदान करना है। कैदियों ने रूचि लेकर प्रवचन सुना और अनेक कैदियों ने अपने जीवन में सुधार लाने की इच्छा भी व्यक्त की। गुरुदेव ने कैदियों से संवाद करते हुए उन्हें मानसिक दृढ़ता बढ़ाने, ध्यान और प्रार्थना को दैनिक जीवन में शामिल करने का मार्गदर्शन दिया।
