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एटीएस अधिकारी बन किया फोन, बुजुर्ग से 2 लाख हड़पे

जिले में साइबर ठगी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। ठग अब लोगों को डराने, धमकाने और सरकारी विभागों का अधिकारी बनकर अलग-अलग तरीके अपनाकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। कभी गैस या बिजली कनेक्शन काटने का डर...

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जिले में साइबर ठगी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। ठग अब लोगों को डराने, धमकाने और सरकारी विभागों का अधिकारी बनकर अलग-अलग तरीके अपनाकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। कभी गैस या बिजली कनेक्शन काटने का डर दिखाया जाता है, तो कभी डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की जाती है। ग्रीन फील्ड कॉलोनी में रिटायर्ड कर्मचारी से साइबर ठगी का मामला सामने आया है। साइबर ठगों ने फोन पर खुद को एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (एटीएस) चंडीगढ़ का अधिकारी बताते हुए बुजुर्ग पर 26/11 मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब के संपर्क में रहने और हवाला के जरिए लेन-देन करने का आरोप लगाया। गिरफ्तार करने का डर दिखाकर बुजुर्ग से 2 लाख 10 हजार रुपए ठग लिए गए। पीडि़त बुजुर्ग के अनुसार 17 नवंबर को वह घर पर आराम कर रहे थे, तभी उनके मोबाइल पर अचानक फोन आया। कॉल करने वाले ने अपना नाम रणजीत कुमार बताया और कहा कि वह एटीएस चंडीगढ़ से बोल रहा है। उसने दावा किया कि एटीएस का काम देशभर में आतंकी गतिविधियों की निगरानी और जांच करना है और इस समय उनके सामने एक बड़ा मामला आया हैए जिसमें बुजुर्ग का नाम जुड़ा हुआ है। फोन करने वाले ने कहा कि 2008 में हुए मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड अजमल कसाब से जुड़ी जांच में बुजुर्ग की कुछ जानकारी सामने आई है, जिससे शक होता है कि उनका उससे संबंध था। कॉल करने वाले ने धमकी दी कि यदि उन्होंने तुरंत अपनी प्रॉपर्टी और बैंक अकाउंट की जानकारी नहीं दी, तो उनकी सारी संपत्ति सील कर दी जाएगी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। धमकी और गिरफ्तारी के डर से बुजुर्ग घबरा गए। उन्होंने अपने बैंक खातों में जमा राशि और अपनी संपत्ति से संबंधित सभी जानकारी ठगों को दे दी। इसके बाद ठग ने कहा कि वे उन्हें अपने वरिष्ठ अधिकारी से बात करवाएंगे, जो इस मामले को क्लियर कर सकता है। कुछ देर बाद बुजुर्ग को व्हाट्सएप कॉल आया। दूसरी तरफ बैठा व्यक्ति खुद को एटीएस का वरिष्ठ अधिकारी बता रहा था। उसने बुजुर्ग से कहा कि यदि वह अपने बैंक खाते में मौजूद राशि को उनके बताए खाते में भेज देंगे, तो उनका नाम आतंकवाद से जुड़े इस केस से हटा दिया जाएगा। गिरफ्तारी के डर से बुजुर्ग ने ठगों की बात मान ली और 18 नवंबर को बैंक जाकर आरटीजीएस के माध्यम से 2 लाख 10 हजार रुपए ठगों के खाते में ट्रांसफर कर दिए। पैसे जाने के बाद भी ठगों ने राहत नहीं दी। उन्होंने बुजुर्ग को दोबारा कॉल कर बताया कि उनके खाते में हवाला के माध्यम से लेन-देन पाया गया है, इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने एक लाख रुपए और देने की मांग की। यहीं से बुजुर्ग को शक हुआ और उन्होंने मामले की जानकारी अपने एक रिश्तेदार को दी। रिश्तेदार ने तुरंत बताया कि यह एक साइबर फ्रॉड का मामला है और उन्हें कोई पैसा नहीं देना चाहिए। इसके बाद बुजुर्ग ने साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर घटना की जानकारी दी। उनकी शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। फिलहाल ठगों की पहचान नहीं हो पाई है। पुलिस कॉल रिकॉर्ड, बैंक अकाउंट और ट्रांजैक्शन की जांच कर रही है ताकि ठगों तक पहुंचा जा सके।

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