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वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर 7 नवंबर को पूरा देश गाएगा राष्ट्रगीत : धनखड़

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि 7 नवंबर को राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ देशभर में बड़े स्तर पर मनाई जाएगी। इस अवसर पर पूरा देश एक साथ यह गीत गाएगा। भाजपा ने इस कार्यक्रम को...

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गुरुग्राम में पार्टी कार्यालय में प्रेसवार्ता करते भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़। -हप्र
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भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि 7 नवंबर को राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ देशभर में बड़े स्तर पर मनाई जाएगी। इस अवसर पर पूरा देश एक साथ यह गीत गाएगा। भाजपा ने इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। सरकारी व निजी स्कूलों, कॉलेजों, संस्थानों और विभिन्न संगठनों में वंदे मातरम के गायन का आयोजन होगा।

गुरुग्राम के सेक्टर-29 स्थित लेजरवैली मैदान में भी इस अवसर पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। धनखड़ ने बताया कि दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल होंगे। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी चंडीगढ़ सचिवालय और अंबाला में दो कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे, जबकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मोहनलाल बड़ोली सोनीपत में और स्वयं धनखड़ गुरुग्राम के कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे।

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देशभर में 150 प्रमुख स्थलों पर विशेष कार्यक्रम होंगे, जिनमें वे स्वयं 37 स्थानों की देखरेख करेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी की लड़ाई से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों अंडमान-निकोबार की सेल्यूलर जेल, झांसी, रेजांगला और 1857 की क्रांति के शहीद स्थलों पर भी यह गीत गाया जाएगा।

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इन कार्यक्रमों के साथ देशभर में पद यात्राएं और साइकिल यात्राएं भी निकाली जाएंगी, जिससे यह अवसर एक बड़े उत्सव का रूप लेगा। धनखड़ ने कहा कि वंदे मातरम गीत ने स्वतंत्रता आंदोलन में अमिट भूमिका निभाई। क्रांतिकारी इस गीत को गाते हुए फांसी के फंदे पर झूल गए। 1906 और 1942 में ब्रिटिश शासन ने इस गीत पर प्रतिबंध लगाया था, क्योंकि यह आजादी की भावना का प्रतीक बन चुका था।

उन्होंने बताया कि यह गीत 7 नवंबर 1876 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने लिखा था और 1896 में रवींद्रनाथ ठाकुर ने इसे पहली बार गाया। वर्ष 1950 में इसे राष्ट्रगीत का दर्जा मिला। शुरुआत में इसके छह अंतरे थे, जिनमें से दो अंतरों को आज गाया जाता है। यह गीत आज भी संसद और विधानसभाओं के सत्रों की शुरुआत में गाया जाता है।

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