रक्षा बंधन पर बहनें, भाईयों से लेंगी गाली नहीं देने का वचन
जींद के बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच, यूनिसेफ के सलाहकार और सामाजिक सुधारक प्रोफेसर सुनील जागलान, जो अपनी ‘गाली बंद घर अभियान’ के लिए विख्यात हैं, ने इस बार रक्षाबंधन पर्व को सार्थक संदेश के साथ मनाने के लिए विशेष पहल की है।
इसके तहत सुनील जागलान ने देशभर की लड़कियों को पहले फेज में 3000 से अधिक पोस्टकार्ड भेजे हैं, जिनमें बहनों से आग्रह किया गया है कि वे इस रक्षाबंधन पर अपने भाइयों से यह वचन लें कि उनके भाई दैनिक जीवन में मां, बहन बेटी की गाली नहीं देंगे और उनके प्रति अपमानजनक भाषा का प्रयोग नहीं करेंगे।
सुनील जागलान ने इस अभियान को ‘रक्षाबंधन की डोर, गाली बंधन की ओर’ नाम दिया है। इसे लेकर जागलान ने कहा कि रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के प्यार का उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक-दूसरे की रक्षा का वचन भी है। इस बार हम इसमें एक नया आयाम भाषा और सम्मान की रक्षा जोड़ रहे हैं।
उन्होंने बहनों से अपील की है कि वे राखी के पवित्र धागे को सम्मानजनक भाषा का प्रतीक बनाएं और अपने भाइयों को इस संकल्प के लिए प्रेरित करें। इस संदेश को और व्यापक बनाने के लिए जागलान ने महिलाओं को निमंत्रण दिया है कि वे अपने भाइयों को राखी बांधते समय और उनके इस बार मां, बहन और बेटी की गाली नहीं देने का वचन को लेते समय वीडियो बनाएं। ये वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए जाएंगे और चुनिंदा प्रतिभागियों को आगामी समारोह में सम्मानित किया जाएगा।
सर्वे में सच आ चुका सामने
जागलान ने बताया कि उनके गाली बंद घर अभियान के तहत 11 वर्षों के गहन सर्वेक्षण में देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 70000 से अधिक लोगों को शामिल किया गया। इनमें छात्र, अभिभावक, शिक्षक, डॉक्टर, पुलिस कर्मी, वकील और अन्य पेशेवर शामिल थे। सर्वे के अनुसार, भारत में लगभग 55 प्रतिशत पुरुष और महिलाएं अपनी रोजमर्रा की बातचीत में अपशब्दों का उपयोग करते हैं। दिल्ली में यह आंकड़ा सबसे अधिक 80 प्रतिशत है। जम्मू कश्मीर में सबसे कम 15 प्रतिशत लोग गाली देते हैं। जागलान ने जोर देकर कहा कि अपशब्दों का उपयोग एक सामाजिक बुराई है।