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बदलते रहे अधिकारी, मिली तो केवल... तारीख पे तारीख

मालिकाना हक के लिए 27 साल से बाट जोह रहे 4 गांवों के किसान
झज्जर में मंगलवार को मीडिया के सामने जमीन के मालिकाना हक के कागजात दिखाते किसान। -हप्र
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कहते हैं समय-समय पर सरकार अपने ही बनाए कानूनों में संशोधन इस दृष्टि से करती रहती है कि पात्र व्यक्ति को इसका पूरा लाभ समय रहते मिल सके। लेकिन यदि सरकार द्वारा बनाए जाने वाले इन्हीं कानूनों का समय रहते लाभ न मिल पाए तो फिर यहीं कानून आमजन के लिए बेमानी साबित होते हैं। ठीक ऐसे ही कानून ने पिछले करीब तीस साल से झज्जर जिले के गांव इस्लामगढ़ वर्तमान में छुछकवास और उसके आस-पास के तीन गांवों के किसानों के लिए अधिकारियों की मनमर्जी और लालफीताशाही ने परेशानी पैदा कर डाली है। जिसका परिणाम यह है कि खरीदी गई जमीन के मालिक होते हुए भी चार गांवों के किसानों को उनकी जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल पाया है। पिछले 27 सालों से इन चार गांवों के किसान अपनी इस खरीदी गई जमीन का मालिकाना हक पाने के लिए शासन और प्रशासन के चक्कर काट रहे है, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है। इन 27 सालों में इन किसानों को संबंधित अधिकारियों के तबादलों के चलते तारीख पे तारीख तो दी जाती रही है, लेेकिन समस्या का समाधान हो, इसके लिए कोई पहल नहीं हो पाई है।

इसी सिलसिले में यहां झज्जर एसडीएम से मिलने आए इन किसानों ने अपनी आपबीती मीडिया के सामने रखी। यहां उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सैनी की तो बढ़ाई कि लेकिन साथ ही अधिकारियों की हठधर्मिता और प्रशासनिक लापरवाहीं को भी जिम्मेवार ठहराया।

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यहां एसडीएम से मिलने आए किसानों के इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे छुछकवास पूर्व में इस्लामगढ़ वासी राहुल ने बताया कि गांव मारौत, पलड़ा, जहाजगढ़ और पलड़ा के किसानों ने इस्लामगढ़ के पूर्व नवाब अल्ताफ अली खान से 188 कैनाल जमीन खरीदी थी। इसके उनके पास कागजात भी है। लेकिन साल 1997 में इसी जमीन को सरप्लस बता कर सरकार के खाते में डाल दिया गया। इसके लिए वह लंबे समय से अधिकारियों के चक्कर काट रहे है। उन्होंने कहा कि जब चंड़ीगढ़ स्थित उच्चाधिकारियों से इस मामले में रिपोर्ट मांगी जाती है तो संबांधित कर्मचारी जानबूझ कर उस पर गलत तारीख डाल देते है ताकि असमंजस की स्थिति बनी रहे और किसानों काे न्याय न मिल सके।

सीएम के संज्ञान में लाया जाएगा मामला

पीड़ित किसानों ने कहा कि वह चाहते हैं कि यदि उन्हें उनकी जमीन का मालिकाना हक मिल जाए तो वे भी सरकारी योजनाओं को लाभ उठा सकें। पीड़ित किसानों में अनेक पूर्व सैनिक हैं और जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर हैं। उन्होंने कहा कि उनकी अगली रणनीति मुख्यमंत्री के संज्ञान में मामला लाने के साथ-साथ हलका विधायक को भी ज्ञापन सौंपने की है ताकि उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिल सके।

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