जिले के सरकारी स्कूलों में अब कक्षा का नजारा बदला-बदला दिखाई देगा। पारंपरिक रूप से आगे-पीछे की बेंच की जगह छात्रों को अब गोल घेरे या यू-आकार में बैठाया जाएगा। यह प्रयोग छात्रों में समानता की भावना जगाने और पढ़ाई को अधिक संवादात्मक बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि नई व्यवस्था से न केवल हर बच्चा सीधे शिक्षक की नजर में रहेगा, बल्कि आपसी बातचीत और भागीदारी भी बढ़ेगी। अब पीछे बैठने का कोई कलंक नहीं होगा। सभी बच्चों को समान ध्यान और अवसर मिलेंगे। इस बदलाव के पीछे जिला प्रशासन की सोच है कि शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित न रहकर बच्चों के आत्मविश्वास, अनुशासन और समग्र विकास को भी मजबूत करे। डीसी सचिन गुप्ता ने बताया कि यह पहल रोहतक को शैक्षिक नवाचार में अग्रणी बनाएगी। गोलाकार बैठक से कक्षा में समानता और संवाद बढ़ेगा। बच्चों में आत्मसम्मान की भावना विकसित होगी और शिक्षक भी पूरी कक्षा पर बेहतर नजर रख पाएंगे। हमने इसे चरणबद्ध तरीके से सभी स्कूलों में लागू करना शुरू कर दिया है। शिक्षकों और छात्रों की प्रारंभिक प्रतिक्रियाएं भी उत्साहजनक रही हैं। शिक्षकों का कहना है कि अब बच्चे ज्यादा एकाग्र रहते हैं और पढ़ाई में सक्रिय भाग लेते हैं। छात्र भी इसे लेकर उत्साहित हैं और कहते हैं कि यह व्यवस्था उन्हें आत्मविश्वास देती है और जुड़ाव का एहसास कराती है। जिला प्रशासन का मानना है कि यह प्रयोग आने वाले समय में पूरे प्रदेश के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है।
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