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मेवात जिले के 6 बूचड़खानों को नोटिस

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कसा शिकंजा

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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मेवात जिले में 6 बूचड़खानों को नोटिस जारी किया है और पर्यावरण मानकों के उल्लंघन को लेकर जवाब-तलब किया है। बोर्ड की इस पहल का संघर्ष समिति ने स्वागत किया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के उपमंडल अधिकारी मनीष यादव ने बताया कि जिले में बूचड़खानों को लेकर लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। इनकी जांच की गई और कई खामियां सामने आईं। इसके चलते टीमें रोजाना अलग-अलग इकाइयों का निरीक्षण कर रही है। अल नावेद एग्रो फूड्स लिमिटेड मांडीखेड़ा, फेयर एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड मांडीखेड़ा, फेयर एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड सटकपुरी, आवो एग्रो फूड्स टपकन, जरीन फूड्स मढ़ी और यूनाइटेड फार्म प्रोडक्ट्स घाटा शमशाबाद को नोटिस जारी किया है। मनीष यादव ने चेतावनी दी है कि यदि प्रदूषण मानकों के उल्लंघन का समय पर सुधार नहीं किया गया तो इकाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि मंडीखेड़ा स्थित अल नावेद मीट फैक्ट्री पर 13 अक्तूबर को आईटी और ईडी की संयुक्त छापेमारी में भारी मात्रा में बिलों और लेन-देन में गड़बड़ी का खुलासा हुआ था। सूत्रों के अनुसार मंगलवार को जिला प्रशासन और केंद्र की टीम ने दोबारा कार्रवाई की और फैक्ट्री को अस्थायी रूप से बंद कर दिया। इससे बूचड़खाना प्रबंधन में हड़कंप मच गया है।
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समिति ने किया फैसले का स्वागत

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मेवात बूचड़खाना बचाओ संघर्ष समिति ने प्रशासन के इस कदम का स्वागत किया और कहा कि ये बूचड़खाने पूरी तरह से मानकों का पालन नहीं कर रहे। समिति से जुड़े अब्दुल वहाब, सरपंच अब्दुल अजीज, सामाजिक कार्यकर्ता साबिर कासमी, सोशल मीडिया कार्यकर्ता शौकत अली ने बताया कि इन इकाइयों से आसपास के खेतों और वातावरण में प्रदूषण फैल रहा है। बदबू से ग्रामीण परेशान हैं, पशु क्रूरता हो रही है, साफ-सफाई का कोई इंतजाम नहीं है। कुछ प्रबंधक भ्रष्ट अधिकारियों की सांठ-गांठ से नियम तोड़ रहे हैं। संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना है कि इससे कैंसर जैसी घातक बीमारियां मेवात में फैल रही हैं, साथ ही पानी की भारी बर्बादी हो रही है। समिति लंबे समय से इन बूचड़खानों के बंद करने की मांग करती आ रही है।

एनजीटी में याचिका दाखिल

इसी कड़ी में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें जिला प्रशासन और सभी बूचड़खानों को पक्षकार बनाया गया है। याचिकाकर्ताओं को उम्मीद है कि एनजीटी जल्द ही कड़ा फैसला लेगी। एनजीटी सुनवाई से पहले ही जिला प्रशासन इन इकाइयों पर नकेल कसने की तैयारी में जुटा है, जिसकी शुरुआत नोटिस जारी करने से हो चुकी है। यहां के निवासियों का कहना है कि प्रदूषण और स्वास्थ्य जोखिमों से निपटने के लिए यह कदम सराहनीय है।

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