सोनीपत के सैनिक परिवार की निकिता दहिया ने सेल्फ स्टडी के बूते यूपीएससी में मारी बाजी
गांव रोहट हाल सोनीपत के जीवन निवासी निकिता दहिया ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी 2024) की रिजर्व लिस्ट में 37वां स्थान हासिल किया। निकिता ने अपनी सफलता का श्रेय परिवार, स्वयं की कड़ी मेहनत व सेल्फ स्टडी को दिया। निकिता दहिया की सफलता की कहानी इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ संकल्प, आत्म अनुशासन के साथ अभ्यर्थी अपने स्वयं के परिश्रम के सहारे यूपीएससी जैसी मंजिल को हासिल कर सकते हैं। निकिता ने भावी अभ्यर्थियों से संदेश साझा करते हुए कहा कि यह एक मिथक है कि केवल बड़े शिक्षण संस्थान ही आपको यूपीएससी में सफलता दिला सकते हैं, आपकी स्वयं की पढ़ाई व कड़ी मेहनत ही सफलता की असली कुंजी हैं।
भारतीय सेना की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाली निकिता ने बताया कि उनके पिता सूबेदार विनोद दहिया भारतीय सेना में सेवारत रहे हैं। साथ ही एथलेटिक्स में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी रह चुके हैं। माता सुनीता गृहिणी हैं, जबकि भाई लवलीन का एथलेटिक्स प्रशिक्षक के तौर पर चयन हो चुका है। निकिता ने बताया कि सिविल सेवाओं का उनका सफर सोनीपत निवासी अनु कुमारी से प्रेरित रहा। अनु कुमारी ने यूपीएससी 2017 की परीक्षा में ऑल इंडिया दूसरी रैंक हासिल की थी। उस वक्त वह कक्षा 12वीं की छात्रा थी। जब वह अनु कुमारी से मिलने के लिए उनके गांव गई तो उस मुलाकात में उन्हें यूपीएससी की प्रेरणा मिली। उन्होंने राष्ट्र की सेवा करने के अपने संकल्प को मजबूत किया।
बेहतर रैंक आने पर परिवार उत्साहित
निकिता ने अपनी स्कूली शिक्षा ऋषिकुल विद्यापीठ, सोनीपत से पूरी की। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान (ऑनर्स) में स्नातक किया। उनके पिता सूबेदार विनोद दहिया ने भावुक होकर अपनी बेटी की सफलता का श्रेय उसकी अथक मेहनत व पत्नी के अटूट समर्पण को दिया। उन्होंने बताया कि जब वह सीमा पर देश की सेवा में तैनात थे, तब उनकी पत्नी ने घर की जिम्मेदारी संभाली।
निकिता एक सच्ची रोल मॉडल : सोनिया मोर
निकिता दहिया की उपलब्धि पर भाजपा की जिला उपाध्यक्ष सोनिया मोर ने उन्हें व परिवार को बधाई दी। सोनिया मोर ने निकिता की सराहना करते हुए भारतीय सेना के साथ अपने गहरे जुड़ाव पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वह स्वयं एक फौजी परिवार से हैं। वह इस परिवार के संघर्ष व कुर्बानियों को भली-भांति समझ सकती हैं। निकिता ने जिला ही नहीं, प्रदेशभर की फौजी परिवारों का मान बढ़ाया है। यह एक सच्ची रोल मॉडल हैं।
 
 
             
            