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एनईपी शिक्षा को सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का अवसर: प्रो. रामपाल सैनी

चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान प्रणाली पर राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न

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जींद सीआरएसयू में शुक्रवार को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए वीसी प्रो. रामपाल सैनी। -हप्र। 
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नई शिक्षा नीति-2020(एनईपी) ने चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय (सीआरएसयू) में शुक्रवार को भारतीय ज्ञान प्रणाली पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में नई शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा को वैज्ञानिक पद्धति से वर्तमान शिक्षा पाठ्यक्रम में समाहित करने की प्रक्रियाओं, संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा की गई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सीआरएसयू के कुलगुरु प्रो. रामपाल सैनी ने की, जबकि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के स्कूल ऑफ आईसीटी के अधिष्ठाता प्रो. संजय कुमार शर्मा मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे। कुलगुरु प्रो. रामपाल सैनी ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 भारतीय शिक्षा व्यवस्था को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप बनाने के साथ उसे भारत की सांस्कृतिक जड़ों, बौद्धिक परंपराओं और मानव केंद्रित ज्ञान सम्पदा से जोड़ने की पहल है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हमारा लक्ष्य छात्रों को केवल रोजगारपरक शिक्षा तक सीमित न रखकर, उन्हें जिज्ञासु, नवाचारी, समग्र सोच वाले और सांस्कृतिक रूप से जागरूक वैश्विक नागरिक बनाना है। उन्होंने आश्वस्त किया कि विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान प्रणाली के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए पाठ्यक्रम, शिक्षण–प्रशिक्षण और शोध गतिविधियों को नई दिशा देने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्य वक्ता प्रो. संजय कुमार शर्मा ने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा गणित, खगोल विज्ञान, दर्शन, चिकित्सा, राजनीति, कृषि, योग और भाषा–विज्ञान जैसे क्षेत्रों में विश्व को दिशा प्रदान करती रही है। उन्होंने चरक, सुश्रुत, आर्यभट्ट, भास्कराचार्य, वात्स्यायन और पाणिनि जैसी महान परम्पराओं का उल्लेख करते हुए बताया कि भारतीय ज्ञान आज भी आधुनिक अनुसंधान और तकनीकी विकास के कई आधारों को मजबूत करता है। भारतीय ज्ञान प्रणाली का उद्देश्य अतीत का महिमा मंडन नहीं, बल्कि परंपरा को वैज्ञानिक कसौटियों पर परख कर वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप पुनर्जीवित करना है। इसके साथ ही डिजिटल संसाधनों, आधुनिक प्रौद्योगिकी, राज्य–स्तरीय सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों और कौशल आधारित शिक्षण प्रक्रियाओं के माध्यम से इस ज्ञान को विद्यार्थियों तक अधिक प्रभावी ढंग से पहुंचाने पर भी विस्तृत चर्चा हुई। इस अवसर पर डॉ. अरुण कुमार मौजूद रहे। कार्यक्रम के समापन पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए।

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