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18 साल में किये 1500 से अधिक कॉर्निया ट्रांसप्लांट

वर्ष 2007 से निरामया चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित निरामया आई (नेत्र) बैंक अपनी स्थापना के 18 साल में 1500 से अधिक कॉर्निया ट्रांसप्लांट अपने परिसर में कर चुका है। बैंक की ओर से 3700 से अधिक कॉर्निया लेकर अपने यहां...
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वर्ष 2007 से निरामया चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित निरामया आई (नेत्र) बैंक अपनी स्थापना के 18 साल में 1500 से अधिक कॉर्निया ट्रांसप्लांट अपने परिसर में कर चुका है। बैंक की ओर से 3700 से अधिक कॉर्निया लेकर अपने यहां और दूसरे अस्पतालों में दिए जा चुके हैं। गुरुग्राम जिला का यह पहला आई बैंक है।

कॉर्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा भी सिर्फ निरामया आई बैंक में है। बाकी गुरुग्राम में कहीं नहीं है। 25 अगस्त से 8 सितंबर 2025 तक चलाए जा रहे 40वें नेत्र दान पखवाड़ा में निरामया चेरिटेबल नेत्र दान के लिए जागरूकता में अपना अहम योगदान दे रहा है। साप्ताहिक रक्तदान शिविर के साथ नेत्रदान के लिए संस्थान की ओर से जागरूक किया जाता है। निरामया आई बैंक के प्रबंधक गणेश कुमार बताते हैं कि टेक्नोलॉजी काफी ज्यादा एडवांस हो गई है। अब किसी मृतक की पूरी आंख निकालने की बजाय सिर्फ कॉनिया निकाला जाता है। कॉनिया आंख में काले रंग की गोलाकार आकृति के पास होता है। कॉर्निया निकालने में 20-25 मिनट का समय लगता है। गणेश कुमार बताते हैं कि डोनेट होने वाले कॉर्निया शत-प्रतिशत मरीजों के काम नहीं आ पाते। किसी कारण मरीजों के काम नहीं आने वाले कॉर्निया रिसर्च के लिए भेज दिए जाते हैं, ताकि रिसर्च में सहूलियत हो। इनकी संख्या एक से डेढ़ प्रतिशत ही होती है।

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मृत देह से आठ घंटे में निकालना होता है कॉर्निया

निरामया चैरिटेबल ट्रस्ट एवं निरामया आई बैंक के प्रेजीडेंट डा. त्रिलोक नाथ आहुजा एवं डाॅ. हितेंद्र आहुजा बताते हैं कि मृत देह से कॉर्निया निकालने का समय छह से आठ घंटे का होता है और 72 घंटे में उसे मरीज में लगाना होता है। हालांकि तकनीक ऐसी आ गई है कि आंख से निकाले गए कॉर्निया को 14 दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है। निरामया नेत्र बैंक में इस समय 100 की वेटिंग चल रही है। किसी भी मरीज में कॉर्निया प्रत्यारोपित करने का सारा खर्च भी निरामया चैरिटेबल वहन करता है। साथ ही सरकार से भी इसमें मदद मिलती है। प्रेजीडेंट डाॅ. त्रिलोक नाथ आहुजा के मुताबिक सरकार की ओर से नेत्र दान के प्रति जागरूकता कार्यक्रम में भी निरामया की भागीदारी रहती है।

गुरुग्राम जिले में एकमात्र नेत्र ट्रांसप्लांट सेंटर

गुरुग्राम जिले में निरामया आई सेेंटर एकमात्र सेंटर है, जो कि मृत देह से कॉर्निया लेता है और उसे ट्रांसप्लांट करता है। दूसरा कोई ट्रांसप्लांट सेंटर भी नहीं है। निरामया चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से लोगों को नेत्र दान के प्रति जागरूक किया जाता है। नेत्र दान के संबंध में निरामया की ओर से तीन सदस्यीय (डॉक्टर, तकनीशियन व ड्राइवर) दो टीम हैं। निरामया की टीमें गुरुग्राम के 80 किलोमीटर के दायरे में जाकर कॉर्निया लेती है।

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