मातन लिंक ड्रेन ओवरफ्लो, छुड़ानी गांव में 500 एकड़ फसल जलमग्न
उपमंडल के छुड़ानी गांव में करीबन 500 एकड़ धान की फसल पानी में डूब गई है। अगर डी-वाटरिंग शुरू नही हुई तो गांव के अंदर पानी घुसने का खतरा भी मंडराने लगा है। डहरी क्षेत्र से होते हुए पानी थली क्षेत्र के खेतों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। दरअसल पम्प हाउस से मातन लिंक ड्रेन का पानी पिछले कई दिनों से बेहद कम पम्प किया जा रहा था जो आज करीबन ढाई घंटे तक पूरी तरह बंद कर दिया गया है। जिसके कारण मातन लिंक ड्रेन ओवरफलो होकर खेतों में बहने लगी। मातन लिंक ड्रेन में करीबन 135 से 150 क्यूसिक से ज्यादा पानी आ रहा है जो छुड़ानी गांव में लिंक ड्रेन के किनारे तोड़कर खुला बहने लगा है। किसान अजीत सिंह, लाला, जगदीश, बेलसिंह और काला ने बताया कि मातन लिंक ड्रेन के पानी को पम्पिंग के जरिए केसीबी ड्रेन में डालने के लिए करीबन 130 क्यूसिक क्षमता का पम्पिंग स्टेशन बना रखा है। बिजली का कनेक्शन भी है और जेनरेटर भी लगा रखा है। लेकिन पूरी व्यवस्था को ठप्प कर दिया गया है। केसीबी को बचाने के लिए छुड़ानी गांव के किसानों को डुबोया जा रहा है। किसानों ने बताया कि सिंचाई विभाग की सिविल विंग के अधिकारियों ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए छुड़ानी गांव को डूबोने का प्लान बनाया है। इसीलिए उन्होंने मातन लिंक ड्रेन से पानी की पम्पिग, डी-वाटरिंग को बंद करवाया है।
किसानों का कहना है कि अधिकारियों को सिर्फ केसीबी ड्रेन को बचाने की फिक्र है तो मातन लिंक ड्रेन का निर्माण ही क्यों करवाया गया था। किसानों ने सरकार और प्रशासन से मातन लिंक ड्रेन की पम्पिंग को फुल कैपेसिटी पर शुरू करने की मांग की है। साथ ही सरकार और प्रशासन से खराब हुई फसलों का मुआवजा देने की मांग भी है। केसीबी ड्रेन भी इस समय खतरे के निशान पर बह रही है।
उधर सिंचाई विभाग के एसई बलराज ने बताया कि उनकी तरफ से डी-वाटरिंग को पूरी तरह बंद करने के संबंध में कोई दिशानिर्देश नहीं दिए गए हैं। एक्सईएन बहादुरगढ़ और सांपला इस मामले को देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि ड्रेन को बचाने के लिए कुछ व्यवस्थाएं करना जरूरी है लेकिन डी-वाटरिंग को पूरी तरह बंद नही किया जा सकता। उन्होंने बताया कि मातन लिंक ड्रेन से डी-वाटरिंग पम्पिंग को सीमित मात्रा में शुरू करवा दिया गया है।