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नूंह के शहीद अग्निवीर समय सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

गांव कुर्थला में परिजनों, नेताओं और हजारों लोगों ने दी श्रद्धांजलि उत्तराखंड के हर्षिल आर्मी कैंप के पास 5 अगस्त 2025 को बादल फटने और भीषण बाढ़ में लापता हुए 19 वर्षीय अग्निवीर समय सिंह का पार्थिव शरीर शनिवार को...
नूंह के गांव कुर्थला में अंतिम संस्कार में उमड़ी भीड़। -निस
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गांव कुर्थला में परिजनों, नेताओं और हजारों लोगों ने दी श्रद्धांजलि

उत्तराखंड के हर्षिल आर्मी कैंप के पास 5 अगस्त 2025 को बादल फटने और भीषण बाढ़ में लापता हुए 19 वर्षीय अग्निवीर समय सिंह का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके पैतृक गांव कुर्थला पहुंचा। लगभग दो महीने 4 दिन बाद बरामद हुए उनके शव का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

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शहीद अग्निवीर समय सिंह।

इस दौरान हजारों लोग शामिल हुए, जिनमें कांग्रेस विधायक आफताब अहमद, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, जिला प्रशासन के अधिकारी और सैन्य टुकड़ियां शामिल थीं। समय सिंह अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र और दो बहनों के सबसे छोटे भाई थे। देश सेवा के जज्बे से प्रेरित होकर उन्होंने 30 अक्टूबर 2024 को अग्निवीर योजना के तहत भारतीय सेना में भर्ती होकर 5 जून 2025 को अपने गांव लौटे और 20 जून को हर्षिल कैंप में तैनात हुए।

दुर्भाग्यवश, 5 अगस्त को धराली और सुक्की क्षेत्रों में बादल फटने से आई भीषण बाढ़ ने कैंप को तहस-नहस कर दिया, जिसमें समय सिंह सहित कई जवान लापता हो गए। परिवार के अनुसार, पिता दलबीर सिंह जो स्वयं रिटायर्ड सेना अधिकारी हैं ने बताया कि 4 अगस्त की शाम 7 से 9 बजे तक वे बेटे से आखिरी बार बात कर पाए।

7 अगस्त को सेना के कमांडिंग ऑफिसर ने लापता होने की सूचना दी, जिसने परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। उन्होंने अग्निवीर योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि केवल छह महीने की ट्रेनिंग के बाद जवानों को इतने कठिन क्षेत्रों में तैनात करना उचित नहीं है।

अंतिम संस्कार में 14 राइफल राज यूनिट, राजपूताना राइफल्स दिल्ली कैंट, गुरुग्राम और मानेसर एनएसजी कमांडो यूनिट के अधिकारी, जिला सैनिक बोर्ड और उजीना गांव की पूर्व सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन शामिल हुई। डीएनए जांच के बाद समय सिंह की पहचान हुई और परिजनों को सूचित किया गया।

कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने समय सिंह की शहादत को मेवात की मिट्टी में देशभक्ति का प्रतीक बताया। मुख्यमंत्री के कोऑर्डिनेटर मुकेश वशिष्ठ ने भी शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी शहादत को गौरवपूर्ण करार दिया। कुर्थला गांव का इतिहास शौर्य और बलिदान से भरा है; मार्च 2015 में गांव की बहू लेफ्टिनेंट किरण शेखावत भी शहीद हो चुकी हैं।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हुई इस प्राकृतिक आपदा में कम से कम 5 लोगों की जान गई और 50 से अधिक लापता हुए। समय सिंह की शहादत ने पूरे मेवात को गहरे शोक में डुबो दिया, लेकिन उनकी देशभक्ति और बलिदान की कहानी हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।

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