'प्रेम और भक्ति ही जीवन की सच्ची संपत्ति'
श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर में 43वां वार्षिकोत्सव संपन्न, स्वामी सदानंद महाराज ने दिया मानवता का संदेश
स्थानीय दादरी गेट स्थित श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर में चल रहा 43वां वार्षिक उत्सव बुधवार को श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर श्रीमद् भागवत कथा का भी समापन हुआ, इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लेकर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया। कथा समापन अवसर पर आश्रम के संस्थापक संत डाॅ. स्वामी सदानंद महाराज ने श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि यह प्रसंग सच्ची मित्रता, प्रेम और विनम्रता का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा को यह संदेश दिया कि धन नहीं, बल्कि प्रेम और भक्ति ही जीवन की सच्ची संपत्ति है।
डाॅ. स्वामी सदानंद महाराज ने अपने प्रवचन में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरुकुल की शिक्षा समाज में जाति-पाति और ऊंच-नीच के भेदभाव को मिटाने का कार्य करती थी, क्योंकि वहां राजा और आमजन दोनों के बच्चे एक साथ शिक्षा ग्रहण करते थे और मानवता के मूल्यों को समझते थे।
शिविर में 90 यूनिट रक्त एकत्रित
आश्रम परिसर में रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया। इसमें 90 यूनिट रक्त एकत्रित किया गया। रक्तदान करने वाले सभी दाताओं को राष्ट्रीय संत डाॅ. स्वामी सदानंद महाराज ने बैज लगाकर सम्मानित किया और रक्तदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रक्तदान महादान है, यह ना केवल किसी की जान बचाता है, बल्कि दाता को भी आत्मसंतोष और पुण्य का अनुभव कराता है। कार्यक्रम के दौरान भक्ति संगीत, कीर्तन और प्रसाद वितरण के साथ श्रद्धालुओं ने संतवाणी का आनंद लिया।
