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साहित्य व्यक्ति की संवेदनशीलता को करता है समृद्ध : प्रो. भीम सिंह दहिया

चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय (सीबीएलयू) के अंग्रेजी एवं विदेशी भाषाएं विभाग, स्वर्ण जयन्ती यूनिवर्सिटी कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन, भिवानी के संयुक्त तत्वावधान में आज एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विभिन्न प्रतिष्ठित शिक्षाविदों एवं विद्वानों ने...
भिवानी में बृहस्पतिवार को प्रो. भीम सिंह दहिया का स्वागत करतीं कुलपति प्रो. दीप्ति धर्माणी। -हप्र
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चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय (सीबीएलयू) के अंग्रेजी एवं विदेशी भाषाएं विभाग, स्वर्ण जयन्ती यूनिवर्सिटी कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन, भिवानी के संयुक्त तत्वावधान में आज एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विभिन्न प्रतिष्ठित शिक्षाविदों एवं विद्वानों ने साहित्य की निरंतर बनी रहने वाली प्रासंगिकता पर विचार-विमर्श किया। कार्यक्रम का शुभारंभ स्वागत भाषण के साथ हुआ, जिसे स्वर्णजयन्ती यूनिवर्सिटी कॉलेज के डीन एवं निदेशक तथा कार्यशाला के संयोजक डॉ. विपिन जैन ने प्रस्तुत किया।

मुख्य वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कुरुक्षेत्र विवि के पूर्व कुलपति प्रोफेसर भीम सिंह दहिया ने कहा कि साहित्य जहां एक ओर व्यक्ति की संवेदनशीलता को समृद्ध करता है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्र की सांस्कृतिक स्मृति और ऐतिहासिक चेतना का महत्वपूर्ण भंडार भी है।

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चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद की कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन ने कार्यशाला की थीम पर आधारित पावर प्वाइंट प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विवि की कुलगुरु प्रो. दीप्ति धर्माणी ने दोनों प्रमुख वक्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम में डॉ. स्नेह लता शर्मा (कार्यशाला समन्वयक), प्रो. वेद प्रकाश छाबड़ा, डॉ. प्रमोद मलिक (अध्यक्ष, विधि विभाग), डॉ. रचना, डॉ. अभिषेक, डॉ. सुरबिंदर, नरेश, राकेश एवं अन्य संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

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