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सुण ले मेरा ठिकाणा, इस भारत में हरियाणा... गीत से पद्मश्री महावीर गुड्डू ने सांस्कृतिक संध्या में बांधा समां

38वें सूरजकुंड शिल्प मेले में हरियाणवी गायक के गीतों पर झूमे लोग
सूरजकुंड मेले में प्रस्तुति देते पद्मश्री अवार्डी एवं विख्यात कलाकार महावीर गुड्डू व उनकी टीम। -हप्र
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राजेश शर्मा/हमारे प्रतिनिधि

फरीदाबाद, 10 फरवरी

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सुण ले मेरा ठिकाणा... इस भारत में हरियाणा, गीतों की सुरीली सांझ में सूरजकुंड मेला परिसर गूंजायमान हो गया। 38वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड शिल्प मेला की चौपाल पर जब पद्मश्री अवार्डी विख्यात आर्टिस्ट महावीर गुड्ड ने अपनी प्रस्तुति दी तो पूरा मेला परिसर हरियाणवी सांस्कृतिक रंग से सराबोर हो गया। मेला परिसर में 23 फरवरी तक रोजाना मुख्य चौपाल व अन्य सांस्कृतिक मंचों पर देश-विदेश के प्रख्यात कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां देते हुए मेले को शोभायमान किया जा रहा है। पर्यटन निगम व कला एवं सांस्कृतिक विभाग हरियाणा की तरफ से प्रतिदिन शाम के समय सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का बेहतरीन आयोजन किया जा रहा है। मेले की सांस्कृतिक संध्या में जब लोक कलाकार महावीर गुड्डू ने बल्लभगढ़ के महान क्रांतिकारी राजा नाहर सिंह की वीरगाथा पर आधारित सन 1858 की हम 9 जनवरी भूले ना... गीत को सुनाया तो पंडाल में सभी दर्शक महान क्रांतिकारी को याद कर भावुक हो गए। उन्होंने देशभक्ति से ओतप्रोत गीत व रागनियां गाईं, जिनमें भगत सिंह कदै जी घबरा ज्या तेरा बंद मकान में, मेरा रंग दे बसंती चोला से देशभक्ति का जज्बा भर दिया। महावीर गुड्डू और उनकी टीम ने हरियाणवी संस्कृति पर आधारित गायकी का जादू बिखेरा। इनमें चंदन की मेरी पाटरी, पानी आली पानी पिया देए क्यूं ठाके ढोल खड़ी हो गी...तू राजा की राज दुलारी में कुंडी सोटे आला सूं और आजा गौरी बैठ जीप में मेरी जीप रोड की रानी आदि गीत गाकर दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।

मेला परिसर में बिम्सटेक पवेलियन में लगे स्टाल पर खरीददारी करते पर्यटक। -हप्र

इंटरनेशनल पवेलियन बना पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र

मेला देश-विदेश की संस्कृति के साथ शिल्प कला के अद्भुत दर्शन करा रहा है। ओडिशा व मध्यप्रदेश थीम स्टेट के साथ बिम्सटेक संगठन के देशों की संस्कृति की झलक मेला परिसर में देखने को मिल रही है। मेला परिसर में बनाए बिम्सटेक संगठन पवेलियन में काफी चहल-पहल देखने को मिल रही है। पर्यटक यहां जमकर खरीदारी भी कर रहे हैं। बता दें कि चौपाल के पीछे की तरफ इंटरनेशनल पवेलियन बना हुआ है। इस बार मेले में बिम्सटेक संगठन से जुड़े देशों को कंट्री पार्टनर बनाया गया है। इस संगठन में भारत, नेपाल, भूटान, म्यांमार, थाईलैंड, घाना, अफगानिस्तान समेत अन्य सदस्य देश शामिल हैं। साथ ही लगभग 51 अन्य देश मेले से जुड़ रहे हैं। इंटरनेशनल पवेलियन में लगभग 30 से अधिक देशों ने अपने स्टाल लगाए हुए हैं, जिनमें विभिन्न देशों की संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है।

लकड़ी की कारविंग कला को दर्शा रहे ट्यूनीशिया के शिल्पकार

मेले में देसी के साथ-साथ विदेशी शिल्पकार अपनी शिल्पकला से पर्यटकों को लुभाने का काम कर रहे हैं। बिम्सटेक पवेलियन में ट्यूनीशिया शिल्पकारों द्वारा स्टाल नंबर एफसी-43 पर जैतून की लकड़ी (ऑलिव वुड) से बने उत्पाद और कारविंग की शिल्पकला पर्यटकों को काफी पसंद आ रही है। ट्यूनीशिया के शिल्पकार ने बताया कि वे अपने साथ लकड़ी का बना साज्जो-सजावट का सामान लेकर आए हैं। वे यह सारा सामान जैतून की लकड़ी (ऑलिव वुड) से बनाते हैं। वे मेले में अपने साथ झूला, कॉफी सेट, टी सेट, चेयर, फ्लावर पॉट, घड़ी व कॉर्नर स्टूल समेत अन्य समान लेकर आए हैं।

सूरजकुंड में आकर अपनी जन्मभूमि का दर्शन कर गौरवान्वित हुई ओडिसा की शशि पूनिया

ओडिसा को थीम स्टेट चुने जाने से इस राज्य के पुराने बाशिंदे भी काफी खुश नजर आ रहे हैं। अपने बाल्यकाल को ओडिसा में बिता कर आईं झज्जर निवासी शशि पूनिया कुछ ऐसा ही गौरव महसूस कर रही हैं। मेले में ओडिसा की बनी कलाकृतियों की खरीद कर रही शशि पूनिया ने बताया कि उनका जन्म ओडिसा के राजगांजपुर जिला सुदंरगढ़ में 1960 में हुआ था। उन्होंने अपना बचपन राउरकेला और उसके आसपास के शहरों में बिताया है। वह भले ही विवाह के उपरांत हरियाणा में आ गईं, लेकिन ओडिसा आज तक उनके दिल में बसता है। शशि पूनिया ने भगवान जगन्नाथ के मंदिर में पूजा की और उसके बाद मेले में घूमकर खरीददारी का आनंद लिया। उनके पति झज्जर निवासी उदयभान पूनिया ने बताया कि वे हर बार सूरजकुंड मेले में पहुंचते हैं, लेकिन इस बार उनका पूरा परिवार ओडिसा थीम स्टेट के प्रति आकर्षित होकर खुशी महसूस कर रहा है।

 

 

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