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जींद का पिंडतारक तीर्थ फाल्गुन की अमावस्या पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किए पिंडदान
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जींद के पिंडारा गांव में बृहस्पतिवार को पिण्डतारक तीर्थ में स्नान करते श्रद्धालु। -हप्र
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जींद, 27 फरवरी (हप्र)

फाल्गुन अमावस्या पर बृहस्पतिवार को जींद के पिंडारा गांव के पिंडतारक तीर्थ पर श्रद्धालुओं ने पिंडदान किया और तीर्थ में डूबकी लगा अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया।

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बुधवार शाम से ही पिंडतारक तीर्थ पर श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। रात को धर्मशालाओं में सत्संग तथा कीर्तन हुए। बृहस्पतिवार तड़के से ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान तथा पिंडदान शुरू कर दिया, जो मध्यान्ह के बाद तक चलता रहा। इस मौके पर दूर- दराज से आए श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया तथा सूर्यदेव को जलार्पण करके सुख-समृद्धि की कामना की। पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किवदंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की थी। तभी से यह माना जाता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालु आते हैं। जींद के ऐतिहासिक जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि फाल्गुन अमावस्या का दिन पूर्ण रूप से पितृ देव को समर्पित है। ऐसा माना जाता कि इस दिन पूजा-पाठ और दान करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है।

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