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पहले ही प्रयास में झज्जर का छोरा बना फाइटर पायलट

एनडीए परीक्षा में हासिल किया था 365 वां रैंक
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झज्जर, 14 अप्रैल (हप्र)

ग्रामीण अंचल से आने वाले झज्जर जिले के गांव के बेटे ने पहले ही प्रयास में पायलट बनने का सपना साकार किया है। गांव खाचरोली निवासी आर्यन ने 12वीं की पढ़ाई करते-करते यूपीएससी द्वारा आयोजित एनडीए की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ऑल इंडिया रैंक 365 हासिल किया। आर्यन फाइटर पायलट बनकर देश सेवा करने का सपना लेकर तैयारी कर रहा था। आर्यन ने एनडीए की लिखित परीक्षा सितंबर, 2024 में दी थी। जनवरी, 2025 में वाराणसी में इंटरव्यू हुआ और फिर मार्च, 2025 में दिल्ली में मेडिकल हुआ। एनडीए की परीक्षा लगभग 8 लाख बच्चों ने दी थी जिसमें आर्यन का ऑल इंडिया रैंक 365 है।

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आर्यन जिले के खाचरोली गांव के एक बहुत ही साधारण परिवार से हैै, जिसके पिता एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में कार्यरत है और मां इंश्योरेंस एवं इन्वेस्टमेंट के क्षेत्र में सेल्फ एम्प्लॉयड हैं। माता-पिता का कहना है कि आर्यन के मन में देश सेवा की इच्छा बचपन से ही थी। उन्होंने बताया कि वह पढ़ाई के साथ अन्य एक्टीविटी में भी अग्रणी रहा है। उसने कराटे में नेशनल में मेडल जीता हुआ है। वही स्टूडेंट ऑफ द ईयर के खिताब के साथ साथ उसने बेस्ट एनसीसी कैडेट का खिताब भी जीता हुआ है।

नौवीं कक्षा से था विमान उड़ाने का जुनून, बन गया पायलट
फरीदाबाद में सोमवार को पायलट का लाइसेंस प्राप्त करने के बाद कुलदीप अग्रवाल प्रसन्न मुद्रा में अपने माता-पिता के साथ। -हप्र

फरीदाबाद (हप्र) : सेक्टर-9 के रहने वाले कुलदीप अग्रवाल ने पायलट का लाइसेंस प्राप्त कर जिले का नाम रोशन कर दिया है। कुलदीप ने बताया कि उन्होंने पायलट बनने का सपना नौवीं कक्षा में देखा था। तभी से उन्होंने तय कर लिया था कि वह इस क्षेत्र में जाएंगे। उन्होंने बताया कि पायलट बनने की प्रक्रिया आसान नहीं थी। कुलदीप ने जानकारी दी कि पायलट बनने के लिए सबसे पहले सीबीटी (कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट) के पांच पेपर देने होते हैं। इन पेपरों को पास करने के बाद डीजीसीए (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) द्वारा निर्धारित मेडिकल टेस्ट होता है। मेडिकल पास करने के बाद फ्लाइंग ट्रेनिंग शुरू होती है, जिसमें कम से कम 200 घंटे की फ्लाइंग पूरी करनी होती है। कुलदीप ने बताया कि इन सभी चरणों को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद ही पायलट का लाइसेंस प्राप्त होता है। अब अगला चरण किसी एयरलाइन में वैकेंसी आने पर ज्वानिंग का है, जिसके बाद लगभग एक साल की ट्रेनिंग दी जाती है।

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