शिक्षक के अंदर करुणा का भाव होना जरूरी : डॉ. दत्ता
ओम शांति रिट्रीट सेंटर में शिक्षाविदों के राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
ब्रह्मकुमारीज के बोहड़ाकलां स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में शिक्षाविदों के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शनिवार को विधिवत शुभारंभ हुआ। शिक्षा प्रभाग द्वारा आयोजित यह सम्मेलन अवेकनेड एजुकेटर्स इनलाइटेन्ड जेनरेशन विषय पर केंद्रित है, जिसमें देशभर से आए शिक्षाविदों, विशेषज्ञों और शिक्षा प्रशासकों ने भाग लिया।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के निदेशक डॉ. अमित दत्ता ने कहा कि आज शिक्षा व्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है। प्राचीन काल में शिक्षा समाज निर्माण का माध्यम थी, लेकिन सामाजिक ताने-बाने के कमजोर होने से शिक्षा का प्रभाव भी कम हुआ है।
डॉ. दत्ता ने कहा कि शिक्षक की भूमिका आज भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, परंतु गुरु का पारंपरिक गुरुत्व कहीं खोता सा प्रतीत होता है। इसे वापस लाने के लिए शिक्षक के भीतर करुणा तथा संवेदनशीलता का भाव होना अनिवार्य है। गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति संजय कौशिक ने कहा कि आज डिप्रेशन एक बड़ी वैश्विक समस्या बनकर उभरा है और इसका मुख्य कारण शिक्षा में आध्यात्मिक एवं नैतिक मूल्यों की कमी है।
ब्रह्मकुमारीज द्वारा शिक्षा में आध्यात्मिक मूल्य जोड़ने का प्रयास एक सराहनीय पहल है। ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने कहा कि मनुष्य बहुत कुछ सीख चुका है, लेकिन मनुष्य की तरह रहना भूल गया है। दिल्ली व हरिनगर सेवा केंद्रों की निदेशिका राजयोगिनी शुक्ला दीदी ने कहा कि शिक्षक का जीवन समाज के लिए प्रेरणास्रोत होता है और वही मूल्यनिष्ठ पीढ़ी का निर्माण कर सकता है।
जेबीएम विश्वविद्यालय के अध्यक्ष गुरुदत्त अरोड़ा, एमएआईटी के उपाध्यक्ष एसपी गोयल, नॉर्थ कैंप यूनिवर्सिटी की कुलपति नूपुर प्रकाश तथा इग्नू के सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ. कमलेश मीणा सहित कई शिक्षाविदों ने भी सम्मेलन में अपने विचार रखे।
