एचएसवीपी के निर्णय से डीलर्स एसोसिएशन में रोष
एचएसवीपी यानी हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा हाल ही में प्रॉपर्टी डीलिंग करने के लिए गए निर्णय को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। प्रॉपर्टी डीलर्स जहां इस निर्णय के विरोध में खुलकर सामने आ गए हैं, वहीं आम लोग भी इस निर्णय से सहमत नहीं हैं। लोगों का कहना है कि एचएसवीपी में व्याप्त भ्रष्टाचार से लोग पहले ही दुखी हैं। ऐसे में यदि प्लॉटों की खरीद-फरोख्त का कार्य भी विभाग के पास चला गया तो इसमें भी न केवल भ्रष्टाचार बढ़ेगा बल्कि लोगों को परेशान भी होना पड़ेगा। लोगों का कहना है कि प्लॉट बेचने की परमिशन भी एचएसवीपी के अधिकारी बिना रिश्वत के नहीं देते, ऐसे में प्रॉपर्टी डीलिंग में लोगों को कैसे छोड़ेंगे। उधर, प्रॉपर्टी डीलर्स का भी आरोप है कि एचएसवीपी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी कोई भी कार्य बिना पैसे लिए नहीं करते हैं। ऐसे में प्रॉपर्टी डीलिंग में उनसे पारदर्शिता की उम्मीद करना समझ से परे है। सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय के खिलाफ अब लोग खुलकर बोलने लगे हैं। संभव है कि सरकार को यह निर्णय वापस लेना पड़े। एचएसवीपी का गठन लोगों को भूमि उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से किया गया था। इसके साथ-साथ रियायती दरों पर लोगों को रहने के लिए प्लॉट अलॉट करना और घर बनाकर देना भी इसके मकसद में शामिल था लेकिन धीरे-धीरे इस विभाग का व्यवसायीकरण होता चला गया। अब इस विभाग द्वारा किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को प्लॉट अलॉट नहीं किए जाते बल्कि बोली लगाकर महंगे से महंगे दामों पर बेचे जाते हैं। कई प्रकार के कार्य उक्त विभाग प्रॉपर्टी से संबंधित करता है। उक्त विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं है। छोटे कार्य से लेकर बड़े कार्यों तक सबके सुविधा शुल्क फिक्स हैं।
इतना ही नहीं ऑनलाइन व पोर्टल के माध्यम से होने वाले कार्य भी बिना पैसे के नहीं होते हैं। ऐसे में अचानक प्लॉटों की खरीद-फरोख्त के लिए उक्त विभाग को अधिकृत कर देना आश्चर्यजनक होने के साथ-साथ चिंताजनक भी है।
यह है नए प्रावधान
नए प्रावधानों के तहत एचएसवीपी पोर्टल पर प्रॉपर्टी लिस्ट करने के लिए विक्रेता को 10000 रुपये की नॉन-रिफंडेबल रजिस्ट्रेशन फीस के साथ जीएसटी देना होगा। यही नहीं, सरकार ने बिक्री और खरीद पर भी कमीशन लागू किया है। प्रॉपर्टी लिस्ट करते समय विक्रेता को प्रॉपर्टी की मांग की गई कीमत का 0.25 प्रतिशत बतौर कमीशन देना होगा। वहीं, जब खरीदार बोली को स्वीकार करेगा तो उसे अंतिम बोली राशि का 0.50 प्रतिशत कमीशन के रूप में चुकाना पड़ेगा। एचएसवीपी के नए नियमों के अनुसार विक्रेता को पोर्टल पर केवाईसी डॉक्यूमेंट्स, कानूनी वारिस की सहमति, प्रॉपर्टी से जुड़े मुकदमों से मुक्त होने का प्रमाण और प्रॉपर्टी का पूरा विवरण देना अनिवार्य होगा। इसके बाद खरीदार ऑनलाइन बोली लगाएंगे और सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को प्रॉपर्टी मिलेगी। सौदा तय होने के साथ ही स्वचालित रूप से ट्रांसफर परमिशन जारी होगी, जो 90 दिन तक मान्य रहेगी।
इस्टेट एजेंट के रोजगार पर होगा कुठाराघात : आकाश
फरीदाबाद इस्टेट एजेंट वेल्फेयर एसोसिएशन (फीवा) के अध्यक्ष आकाश गुप्ता ने नीति को अस्पष्ट और जोखिम भरा बताते हुए कहा कि एचएसवीपी की स्थापना जमीन आवंटन के लिए की गई थी न कि निजी व्यक्तियों के बीच खरीद-फरोख्त में मध्यस्थ बनने के लिए। अब एचएसवीपी निजी पार्टियों के बीच एक प्रॉपर्टी एजेंट की तरह भूमिका निभाएगा जो उसकी मूल भावना के विपरीत है। उन्होंने कहा कि यदि विक्रेता सौदे से पीछे हटता है तो खरीदार को न तो पैसे मिलेंगे न ही प्रॉपर्टी का कब्जा। हजारों पंजीकृत प्रॉपर्टी कंसलटेंट राज्य को बड़ा राजस्व देते हैं लेकिन इस नीति से उन्हें नुकसान ही पहुंचेगा।