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हकृवि को सरसों में सर्वश्रेष्ठ केंद्र अवार्ड से नवाजा

किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने में विकसित किस्मों का महत्वपूर्ण योगदान : वीसी
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ग्वालियर में अखिल भारतीय बैठक में मिला पुरस्कार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को सरसों के अनुसंधान एवं विकास कार्यों में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए सर्वश्रेष्ठ केन्द्र अवार्ड से नवाजा गया है। यह अवार्ड भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान द्वारा ग्वालियर में आयोजित अखिल भारतीय राया एवं सरसों अनुसंधान कार्यकर्ताओं की 32 वी वार्षिक बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के सहायक महानिदेशक (तिलहन व दाल) डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने प्रदान किया।

कुलपति प्रो. बी. आर. काम्बोज ने बताया कि गत वर्ष सिंचित क्षेत्रों के लिए आरएच 1975 किस्म ईजाद की गई है जोकि अधिक उत्पादन के कारण किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय होती जा रही है। कुलपति ने बताया कि 11-12 क्विटल प्रति एकड़ औसत उत्पादन तथा 14-15 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन क्षमता रखने वाली आरएच 1975 किस्म में लगभग 39.5 फीसदी तेल की मात्रा है। तिलहन उत्पादन में वृद्धि के साथ किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढृ करने में विकसित किस्मों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

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उन्होंने बताया कि किसानों को इस किस्म का बीज आने वाले रबी की बिजाई के समय उपलब्ध करवा दिया जाएगा।

कुलपति ने बताया कि इस टीम ने इसके अलावा सरसों की दो अन्य किस्में हाइब्रिड किस्म आरएचएच 2101, आर.एच. 1424 व आर.एच. 1706 विकसित की हैं। ये किस्में भी सरसों की उत्पादकता बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होंगी। उन्होंने इस उपलब्धि पर तिलहन वैज्ञानिकों की टीम को बधाई दी।

अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने उम्मीद जताई कि सरसों की यह नई किस्में अपनी विशिष्ट विशेषताओं के कारण सरसों उत्पादक राज्यों में बहुत लोकप्रिय होंगी। डॉ. राम अवतार ने बताया की तिलहन अनुभाग को भाकृअनुप-भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान द्वारा चौथी बार इस पुरस्कार से नवाजा गया हैं जोकि विश्वविद्याल के लिए गौरव की बात है। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस. के. पाहुजा ने बताया कि सरसों अनुभाग के वैज्ञानिकों की टीम अब तक राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर 23 किस्में विकसित कर चुकी है।

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