स्वास्थ्य कर्मियों ने जियो फेंसिंग आधारित उपस्थिति प्रणाली का किया विरोध
हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों और चिकित्सकों ने सरकार द्वारा लागू की गई जियो फेसिंग आधारित उपस्थिति प्रणाली का कड़ा विरोध शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग अधिकारी कर्मचारी तालमेल कमेटी ने इसे अव्यावहारिक और असंवैधानिक बताते हुए सरकार से तुरंत प्रभाव से वापस लेने की मांग की है। कमेटी का कहना है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग द्वारा 30 मई को जारी आदेशों के तहत अब सभी चिकित्सकों और कर्मचारियों को अपनी उपस्थिति निजी मोबाइल फोन से जियो फेंसिंग प्रणाली के जरिए दर्ज करवानी होगी और वेतन का भुगतान भी इसी आधार पर होगा। कर्मचारियों ने विधायक जस्सी पेटवाड़ को सौंपे ज्ञापन में कहा कि यह आदेश न केवल निजता के अधिकारों का हनन है बल्कि सुप्रीमकोर्ट के निर्देशों के भी खिलाफ है। कर्मचारियों का तर्क है कि मोबाइल फोन, सिम, आधार कार्ड और बैंक खातों से जुड़ी जानकारी साइबर अपराधियों के निशाने पर आ सकती है। इससे स्वास्थ्य कर्मियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। कर्मचारियों ने सवाल उठाया कि जब विभाग में पहले से ही बायोमेट्रिक उपस्थिति व्यवस्था लागू है तो अलग से जियो फेंसिंग आधारित सिस्टम लागू करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
कमेटी ने यह भी कहा कि आश्चर्य की बात है कि यह आदेश सिर्फ स्वास्थ्य विभाग पर ही लागू किए जा रहे हैं, जबकि अन्य विभागों को इससे बाहर रखा गया है। कर्मचारियों ने याद दिलाया कि कोरोना महामारी के दौरान जब लोग अपने घरों से बाहर निकलने से डरते थे, तब चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी ही थे जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर जनता को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराईं।
ऐसे में उन पर अविश्वास जताते हुए इस तरह की नई व्यवस्था थोपना उचित नहीं है। तालमेल कमेटी ने विधायक से मांग की है कि वे विधानसभा में इस मुद्दे को मजबूती से उठाएं और सरकार को आदेश वापस लेने की सिफारिश करें। कमेटी ने कहा कि यदि आदेश वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन का रास्ता भी अपनाया जा सकता है।
इस दौरान डॉ. अंकित सिहाग, डेंटल सर्जन डॉ. मीनाक्षी, शुभराम पान्नू, फार्मेसी ऑफिसर समुंदर फुलिया, राज्य उपप्रधान सुदेश पुनिया, जोरावर सिवाच, देवेंद्र सिवाच, सीनियर नर्सिंग ऑफिसर अंजू, सीमा इत्यादि कर्मचारी शामिल थे।